नई दिल्ली :कोविड-19 महामारी के तीसरे साल की शुरुआत के साथ ही डिजिटल प्रणाली पर बढ़ती निर्भरता (Increasing reliance on digital system) ने वैश्विक स्तर पर साइबर सुरक्षा खतरों से जुड़े जोखिमों को बढ़ा दिया है. एक नए सर्वेक्षण में बताया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था के शीर्ष जोखिमों में राज्यों के बीच संबंधों में तनाव, युवाओं में व्यापक निराशा और डिजिटल असमानता शामिल हैं.
विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) द्वारा अगले सप्ताह अपनी ऑनलाइन दावोस एजेंडा बैठक से पहले जारी वैश्विक जोखिम रिपोर्ट-2022 (Global Risk Report-2022) में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी चिंता जलवायु परिवर्तन संबंधी जोखिम (climate change risks) को लेकर है. शीर्ष 10 वैश्विक जोखिमों में पांच जलवायु या पर्यावरण से संबंधित हैं.
इस रिपोर्ट के 17वें संस्करण (17th edition of the report) में वैश्विक नेताओं से तिमाही मूल्यांकन के दौर से आगे सोचने और आने वाले वर्षों के लिए जोखिम प्रबंधन को आकार देने वाली नीतियां बनाने का आग्रह किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष पांच जोखिम में जलवायु संकट, बढ़ती सामाजिक विषमता, बढ़ता साइबर जोखिम और असमान वैश्विक पुनरुद्धार हैं.
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विशेषज्ञों के एक वैश्विक सर्वेक्षण में पाया गया कि छह में से केवल एक व्यक्ति आशावादी है और दस में से केवल एक का मानना है कि वैश्विक सुधार में तेजी आएगी. रिपोर्ट में भारत के संबंध में कहा गया है कि राज्यों के बीच संबंधों में दरार, ऋण संकट, युवाओं में व्यापक निराशा और डिजिटल असमानता शीर्ष जोखिमों में शामिल हैं.