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जम्मू-कश्मीर: आशूरा को लेकर युवा कवि ने लिखा नोहा - जुहैब हुसैन लिखा नोहा

जम्मू-कश्मीर में आशूरा के मौके पर दो साल बाद जम्मू-कश्मीर में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. कर्बला की घटना और इमाम हुसैन (आरए) की शहादत के बारे में युवा कवि ने नोहा लिखा है.

Jammu and Kashmir: Young poets wrote Noha about AshuraEtv Bharat
जम्मू-कश्मीर: आशूरा को लेकर युवा कवियों ने लिखा नोहाEtv Bharat

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Published : Aug 7, 2022, 1:40 PM IST

Updated : Aug 7, 2022, 2:36 PM IST

श्रीनगर: आशूरा के मौके पर दो साल बाद जम्मू-कश्मीर में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. कर्बला की घटना और इमाम हुसैन (आरए) की शहादत के बारे में युवा कवि ने नोहा लिखा है. कर्बला की घटना और इमाम हुसैन (आरए) की शहादत का उल्लेख कवि ने सदियों से शोकगीत के माध्यम से किया है. हालांकि, कर्बला की घटना के संबंध में 'नोहा' की परंपरा भी सदियों से चली आ रही है.

युवा कवि
ईटीवी भारत से बात करते हुए 28 वर्षीय जुहैब हुसैन ने कहा, 'नोहा कविता की एक शैली है जो इमाम हुसैन (आरए) से जुड़ी है. कभी-कभी लोग एक अलग नजरिये नोहा लिखते हैं. लेकिन अधिकांश नोहा कर्बला के परिप्रेक्ष्य में लिखे गए हैं. हम इमाम हुसैन (आरए) के दर्द का वर्णन करते हैं और एक नोहा में कर्बला की घटना में जो कुछ हुआ वह एक कविता का रूप लेता है जिसे हम नोहा कहते हैं. गजल की तरह, नोहा विकसित और आधुनिक हो गया है.

आज के नोहा हैं पारंपरिक नोहा से काफी अलग है.' उन्होंने कहा,'कविता कर्बला घटना की भावना में होनी चाहिए. आप अपने आप कुछ भी नहीं लिख सकते हैं. आपको घटनाओं और उनके अनुक्रम का पूरा दृष्टिकोण होना चाहिए. मैं 2017 से नियमित रूप से नोहा लिख रहा हूं और मेरा लेखन यूट्यूब पर उपलब्ध है कभी-कभी, मैं खुद स्थानीय समारोहों के दौरान नोहा का पाठ करता हूं.'

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प्रासंगिक रूप से, जुहैब कश्मीरी और उर्दू में भी नोहा लिखते हैं और उन्हें श्रीनगर में उनकी कविताओं के लिए जाना जाता है. अपनी यात्रा के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, 'गजानफर शाहबाज अतीत में एक महान नोहा कवि थे. मैं उनके काम से काफी प्रेरित हूं. उनके शब्द आधुनिक और अलग थे. जिन्हें मैं हमेशा अपनाना चाहता था. मैंने वही किया और इससे मुझे बहुत कुछ मदद मिली. एक मुशायरा था, लेकिन मैं तैयार नहीं था क्योंकि मैंने उसके लिए कुछ नया नहीं लिखा था. मेरे लिए कुछ भी काम नहीं कर रहा था, मैंने देर रात तक कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ. और फिर मैं थक गया और सो गया. लेटते ही मेरे दिमाग में एक वाक्य आया और फिर मैंने लगातार लिखा और लिखा. जब मैंने सुना कि मुशायरे के दौरान सभी को अच्छा लगा और मुझे साहित्यिक पहचान भी मिली.'

Last Updated : Aug 7, 2022, 2:36 PM IST

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