लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने यूपी के राजनेताओं पर लगे 20 हजार से अधिक राजनीतिक मुकदमे वापस लेने के फैसला किया था. इन्हीं मुकदमों में पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह के खिलाफ साल 2004 में दर्ज एक पुराना मुकदमा भी है. इसे CJM न्यायालय ने 6 मार्च 2021 को वापस ले लिया था. ऐसे मुकदमों को वापस लेने का फैसला यूपी सरकार ने 20 दिसंबर, 2017 को ही कर लिया था.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा धन्यवाद पत्र
पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें उन्होंने मुकदमा वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद और साधुवाद दिया है. उन्होंने 6 मार्च को सीजीएम न्यायालय द्वारा मुकदमा वापस लेने की जानकारी देते हुए कहा कि वह और उनका परिवार जीवन भर मुख्यमंत्री के आभारी रहेंगे.
2004 में मशीन गन खरीद में घेरा था मुख्तार को
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी का खौफ था. सत्ता में उस वक्त मुलायम सिंह थे. कथित तौर पर मुख्तर अंसारी को उनका भी संरक्षण था. कोई उसके खिलाफ कुछ भी करने की हिम्मत नहीं करता था. उस समय एसटीएफ में एक डिप्टी एसपी थे शैलेंद्र सिंह, जिन्होंने मुख्तार के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाई. उन्हें जानकारी मिली कि सेना से एक भगौड़ा एक लाइट मशीन गन लेकर भागा है और उस मशीन गन को मुख्तार अंसारी खरीद रहा है. डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने तुरंत अपना जाल बिछा दिया.
शक सही निकला
लाइट मशीन गन को बिक्री की जानकारी मिलने पर इस डिप्टी एसपी ने मुख्तार और सेना के उस भगौड़े का फोन सर्विलांस पर लगवा दिया. कार्रवाई के दौरान भगौड़ा पकड़ लिया गया. मशीन गन भी बरामद कर ली गई. इसके बाद डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने मुख्तार के खिलाफ पोटा के तहत मुकदमा लिख दिया. मगर, ये बहादुरी ही शैलेंद्र के लिए घातक साबित हुई. सत्ता के दबाव में शैलेंद्र न तो मुख्तार को गिरफ्तार कर पाए और न ही कोई अन्य कार्रवाई कर सके. उन पर इतना दबाव पड़ा कि आखिर में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.