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दिल्ली से एक महा प्लान लेकर लखनऊ लौटे सीएम योगी अदित्यानाथ - सीएम योगी अदित्यानाथ

27 घंटे के दौरे के दौरान योगी आदित्यनाथ ने अमित शाह, जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री तीनों के साथ विचार मंथन किया. इसके बाद इन तीनों वरिष्ठ नेताओं ने योगी के जाने से पहले आपस में बैठक कर एक महा प्लान तैयार किया है. सूत्रों की मानें तो इस महा प्लान को सीएम योगी को वापस लौट कर राज्य में लागू करना है. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

योगी अदित्यानाथ
योगी अदित्यानाथ

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Published : Jun 11, 2021, 10:42 PM IST

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश को लेकर दो दिन तक चली राजनीतिक कवायद ने राजधानी दिल्ली का सियासी पारा और गरमा दिया है. उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ताओं, विधायकों और मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच बढ़ रहे असंतोष और तालमेल के अभाव को देखते हुए सीएम को हाईकमान ने दिल्ली बुलाया था और अलग-अलग नेताओं ने लगातार दो दिन तक मंथन किया. पार्टी विश्वस्त सूत्रों का यह कहना है कि सीएम योगी के साथ हुई चर्चा के बाद उत्तर प्रदेश के लिए एक महा प्लान तैयार किया गया है, जिसे जल्द ही राज्य में कार्यान्वित किया जाएगा.

सूत्रों की मानें तो जल्द ही पावर का डिसेंट्रलाइजेशन भी किया जाना है, इसके अलावा राज्य में खाली पड़े मंत्रियों के पद को भी जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार कर भरा जाना है, यही वजह है कि पार्टी ने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली तलब किया गया था और सभी मुद्दों पर एक अंतिम फैसला कर इन नेताओं ने मोहर लगाकर मुख्यमंत्री को वापस लखनऊ भेजा है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इन दो दिनों के अंतराल में सबसे पहले गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. उसके बाद गृहमंत्री की अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल से भी मुलाकात हुई. इसे भी मंत्रिमंडल विस्तार के लिए अपना दल को समाहित किए जाने का एक संकेत माना जा रहा ह.

इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने अपने दौरे के पहले दिन यानी गुरुवार को ही देर रात पार्टी में अभी-अभी शामिल हुए कांग्रेस के पूर्व नेता जतिन प्रसाद से भी मुलाकात की जिससे यह भी माना जा रहा है कि यदि उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार होता है, तो केंद्र के निर्देश पर जतिन प्रसाद और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार और वर्तमान में यूपी से एमएलसी एके शर्मा को भी महत्वपूर्ण पद दिए जा सकते हैं.

यही नहीं योगी आदित्यनाथ के दौरे के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने पहले प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उसके बाद पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की. इन तीनों ही मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री ने अपने निवास पर गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा को बुलाकर योगी के दिल्ली से लखनऊ रवाना होने से पहले ही बैठक की ताकि 2 दिन की चर्चा के दौरान निकल कर आई बातों पर एक आम राय बनाई जा सके.

सूत्रों की माने तो योगी आदित्यनाथ को आलाकमान की तरफ से पार्टी और सरकार के बीच तालमेल बढ़ाने,जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार करने ,पावर का डिसेंट्रलाइजेशन करने और किसान आंदोलन से हुए नुकसान की भरपाई करने के अलावा ,कोविड-19 मिसमैनेजमेंट पर डैमेज कंट्रोल करने के साथ साथ पूर्वांचल को लेकर विकास कार्य में ज्यादा ध्यान देने और पार्टी के विधायकों कार्यकर्ताओं और गठबंधन के नेताओं के साथ तालमेल बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं.

इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा से बातचीत की जिस पर उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकार मंत्रियों और विधायकों के बीच संकट तो है ,तालमेल का अभाव भी साफ नजर आ रहा है, इसलिए यह कहना कि सरकार में सब कुछ ठीक है यह गलत होगा.

जहां तक बात मुख्यमंत्री की नेताओं और कार्यकर्ताओं और कहीं हद तक जनता में भी मुख्यमंत्री को लेकर नाराजगी है और यह बात कहीं ना कहीं पार्टी आलाकमान तक पहुंची थी और इसे दूर करना 2022 से पहले भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी जरूरी है इसलिए भी योगी आदित्यनाथ का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है.

वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि राज्य में कई मुद्दों को लेकर कहीं न कहीं मिसमैनेजमेंट नजर आ रहा था और यह बातें केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंची थी और ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व का हस्तक्षेप लाजमी भी था.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आगामी 2022 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए जीतना अत्यंत आवश्यक है और इसके लिए पार्टी को आमूलचूल परिवर्तन करना होगा साथ ही पावर का डिसेंट्रलाइजेशन भी करना जरूरी होगा.

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उन्होंने कहा कि जहां तक बात एके शर्मा की भूमिका की है ,तो मुझे लगता है कि जिस तरह उन्हें सक्रिय किया गया है यदि मंत्रिमंडल का विस्तार होता है, तो उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका दी जाएगी साथ ही उनका यह भी कहना है कि किसान आंदोलन की वजह से ना सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, बल्कि पूर्वांचल में भी इसका नुकसान पार्टी को हो सकता है और इन तमाम मुद्दों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के लिए यह जरूरी है कि चुनाव के 6 माह पहले से वह इन तमाम असंतोष को दूर करने के लिए कवायद शुरू करें और इसलिए यह बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

उनका कहना है कि जितिन प्रसाद को भी मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किया जा सकता है और पार्टी को अगड़ी, पिछड़ी तमाम जातियों को लेकर साथ चलना होगा ,तभी वह उत्तर प्रदेश से अच्छी सीटें हासिल कर सकती हैं.

इस सवाल पर कि क्या पूर्वांचल को अलग करने की बात को भी भारतीय जनता पार्टी आने वाले चुनाव में मुद्दा बनाएगी तो, मिश्रा का कहना है कि अगर पृष्ठभूमि देखी जाए तो जिन जिन नेताओं ने पूर्वांचल या फिर बुंदेलखंड अलग करने की बात की उन तमाम नेताओं के राजनीतिक कैरियर खत्म हो गए, तो ऐसा उन्हें नहीं लगता कि फिलहाल बीजेपी इन टोटकों को भी देखते हुए पूर्वांचल अलग राज्य बनाने की बातों को मुद्दा बनाएगी.

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