दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

बीजेपी का ट्रंप कार्ड बन सकते हैं 'बुल्डोजर बाबा'

बीजेपी 2024 के लिए योगी आदित्यनाथ को ट्रंप कार्ड (Trump card to Yogi Adityanath for BJP in election 2024) के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है. साल 2014 में जब चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा गया था, तब उत्तर प्रदेश से लोकसभा में 73 सीटें आई थी जबकि 2019 में लोकसभा की 62 सीटें भाजपा के पास उत्तर प्रदेश से आईं, जिसने सीएम योगी को प्रदेश में और भी मजबूती दी. इस चुनाव ने यह जरूर तय कर दिया कि यूपी में योगी के विकल्प के तौर पर किसी और को देखना बेमानी है. आइए जानें, आखिर भाजपा उन्हें कैसे ट्रंप कार्ड के रूप में इस्तेमाल कर सकती है. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की एक रिपोर्ट.

योगी रिटर्न
योगी रिटर्न

By

Published : Mar 25, 2022, 10:22 PM IST

नई दिल्ली :उत्तर प्रदेश की सियासत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 37 साल के लंबे अंतराल के बाद लगातार दूसरी बार सीएम पद का शपथ ग्रहण कर इतिहास रच दिया है. विधानसभा चुनावों में भाजपा को हासिल शानदार बहुमत के साथ दोबारा सत्ता पर पहुंचाने के लिए पार्टी हमेशा सीएम योगी को श्रेय देती रहेगी. इस चुनाव में बुल्डोजर बाबा बन चुके योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया बल्कि, शानदार जीत की वजह से पार्टी में उनका कद भी बढ़ गया है.

हालांकि, औपचारिक तौर पर पूछे जाने पर बीजेपी के नेताओं का यही बयान सामने आया कि यह संगठन की जीत है. लेकिन इस चुनाव के बाद यह निश्चित हो गया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह तक ने, राज्य की सफलताओं को अपने चुनाव प्रचार में गिनाया. इसलिए इसे योगी आदित्यनाथ के नाम पर मिला जनादेश भी बताया जा रहा है, जो बीजेपी के भविष्य की तरफ भी संकेत दे रहा है.

योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल को बीजेपी यहां राष्ट्रवाद और विकासवाद दोनों की जीत बता रही है. कहीं न कहीं पार्टी 2024 के लिए एक मिशन तैयार कर रही है. पार्टी के अंदर के माहौल को देखकर यह कहा जा सकता है कि बीजेपी 2024 के लिए योगी आदित्यनाथ को ट्रंप कार्ड (Trump card to Yogi Adityanath for BJP in election 2024) के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है. साल 2014 में जब चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा गया था, तब उत्तर प्रदेश से लोकसभा में 73 सीटें आई थी जबकि 2019 में लोकसभा की 62 सीटें भाजपा के पास उत्तर प्रदेश से आईं, जिसने सीएम योगी को प्रदेश में और भी मजबूती दी. इस चुनाव ने यह जरूर तय कर दिया था कि यूपी में योगी के विकल्प के तौर पर किसी और को देखना बेमानी है.

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी हिंसा जैसी घटनाओं ने कहीं न कहीं भाजपा को अंदर तक झंझोर कर रख दिया था. चुनाव से कुछ महीने पहले तक पार्टी के केंद्रीय नेताओं के चेहरे पर आशंकाएं साफ नजर आ रही थी. इसी समय योगी आदित्यनाथ को लेकर भी खींचतान का दौर चल रहा था, लेकिन 2022 के शानदार जीत ने यह तय कर दिया कि भारतीय जनता पार्टी को अब उत्तर प्रदेश में योगी के अलावा किसी और विकल्प पर विचार करना भविष्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है.

यदि देखा जाए तो, हाल के तमाम चुनाव में पार्टी ने योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का इस्तेमाल हर चुनाव में किया. चाहे वह हैदराबाद के नगरपालिका चुनाव हो या फिर पश्चिम बंगाल, बिहार या असम के चुनाव हों. योगी आदित्यनाथ जहां भी गए वहां पार्टी को फायदा हुआ है. यही नहीं, इन चुनावों में प्रतिनिधियों के तरफ से भी योगी आदित्यनाथ का डिमांड सबसे ज्यादा था और इन तमाम बातों ने पार्टी के अन्य मुख्यमंत्रियों की कतार में योगी आदित्यनाथ को सबसे आगे खड़ा कर दिया.

उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 पर भी गौर किया जाए तो केंद्रीय नेताओं ने भी प्रदेश के कानून व्यवस्था और विकास के मोर्चे पर योगी की उपलब्धियों को आगे रखकर प्रचार किया था. लेकिन स्वयं योगी आदियत्यनाथ ने विकास और कट्टर हिंदुत्व के अपने एजेंडे का बैलेंस बनाए रखा था. ये कहना गलत नहीं होगा कि हिंदुत्व और विकासवाद के इस एजंडे ने भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड जीत दिलाई है. चुनाव के पहले और दूसरे चरण ने कहीं न कहीं भारतीय जनता पार्टी को नुकसान पहुंचाया था. उसके बाद समाजवादी पार्टी काफी मुखर हो चुकी थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से अपने चुनाव प्रचार को आक्रामक बनाया और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया, वह अपने आप में तारीफ-ए-काबिल था. यही नहीं, इस प्रचंड जीत ने पार्टी के अंदर भी योगी के कद को उन बुलंदियों तक पहुंचा दिया है, जहां से तमाम अटकलों को भी विराम लग गया है.

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह का कहना है कि योगी आदित्यनाथ गुड गवर्नेंस के सिंबॉल माने जाने लगे हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से केंद्र में लोग नरेंद्र मोदी को चाहते हैं. उसी तरह उत्तर प्रदेश में लोग योगी आदित्यनाथ को लोहा मानते हैं. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आरएंडी के तमाम भ्रामक प्रचार के बावजूद भी लोगों ने योगी आदित्यनाथ का साथ दिया. दोबारा उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर चुना जो कि एक बड़ी जीत है. यह एक संगठन की जीत है, लेकिन कहीं न कहीं जीत का श्रेय राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों जैसे कानून व्यवस्था में सुधार और विकास कार्यों को भी सीधे तौर पर जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details