नई दिल्ली: ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस के बाद गाजियाबाद में येलो फंगस का मामला सामने आया. कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों में ब्लैक फंगस पांव पसार रहा है. इसी बीच व्हाइट फंगस के बाद अब देश में यलो फंगस भी सामने आ रहा है. यह मामला गाजियाबाद में मिला है.
डॉक्टरों की मानें तो यह यलो फंगल, ब्लैक और वाइट फंगस से कहीं ज्यादा खतरनाक है. बता दें उत्तर प्रदेश स्थित गाजियाबाद के संजय नगर में रहने वाले 45 वर्षीय मरीज कुंवर सिंह में येलो फंगस के लक्षण पाए गए है. ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. बीपी त्यागी के मुताबिक येलो फंगस के मरीज का केस हर्ष ईएनटी अस्पताल में चल रहा है.
डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि सीटी स्कैन में मरीज का साइनस सामान्य था लेकिन एंडोस्कोपी करने के बाद हमें पता चला कि उसे 3 तरह के फंगस (ब्लैक, व्हाइट और येलो) हो गए हैं.
डॉ. त्यागी का कहना है कि 'येलो फंगस आमतौर पर सरीसृपों (Reptiles) में पाया जाता है. मानव में मैंने पहली बार येलो फंगस देखा है. इस बारे में किसी भी पत्रिका में कोई संदर्भ नहीं है.'
उनका कहना है कि ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस की तुलना में येलो फंगस में घाव को ठीक करने में समय लगता है.
पीले फंगस के लक्षण
ENT स्पेशलिस्ट प्रोफेसर डॉ. बी पी त्यागी के मुताबिक मुकोर सेप्टिकस (पीले फंगस ) के लक्षण हैं सुस्ती, कम भूख लगना, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है वैसे की गंभीर लक्षण, जैसे मवाद का रिसाव करना और खुले घाव का धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की धीमी गति से भरना, कुपोषण और अंग विफलता और परिगलन के कारण धंसी हुई आंखें.