वैश्विक राजनीतिक हालात के लिहाज से साल 2023 कैसा रहा... बिना किसी शक के कहा जा सकता है चुनौतियों से भरा एक कठिन साल. ऐसा साल जिसमें पहले से जारी युद्ध जारी ही नहीं रहे बल्कि नये युद्ध भी शुरू हुए. दुनिया मनचाही व्यवस्था बनाने की कोशिश में थोड़ी ज्यादा अव्यवस्थित हो गई. अहंकार और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा इस हद तक बढ़ गई कि प्रतिद्वंद्वी राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुई बैठकें भी दुनिया को अखबारों के लिए पहले पन्ने की खबर से ज्यादा कुछ भी ना दे पायी. कुल मिलाकर, अच्छी खबरें कम मिली और युद्ध में हताहतों की संख्या अलग-अलग मोर्चों पर बढ़ती रही. यहां 2023 में घटी दुनिया की शीर्ष घटनाएं क्योंकि इनसे पैदा हुए बड़े सवालों का हल हमें साल 2024 में भी ढूंढना होगा...
1. दरवाजे पर पहुंची ग्लोबल वार्मिंग, अब नहीं रही भविष्य की समस्या
इस साल ग्लोबल वार्मिंग की वास्तविक झलक हमें देखने को मिली. दुनिया भर के देशों में तापमान ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिये. जलवायु परिवर्तन अब भविष्य का खतरा नहीं रहा. यह दुनिया की नई वास्तविकता है. साल 2023 संभवतः रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म वर्ष रहा. कुछ रिपोर्टों में तो यह भी दावा किया गया कि 125,000 वर्षों में वैश्विक तापमान इतना अधिक नहीं रहा है. वैश्विक तापमान 2015 के पेरिस समझौते में तय हुए 2 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करने के कगार पर है. इसका नतीजा दुनिया भर में चरम मौसम की घटनाओं के रूप में सामने आया है. जंगलों में ऐसी आग लगी जो पहले कभी नहीं लगी थी. दुनिया के अलग-अलग इलाकों में लोगों ने सूखा और बाढ़ की अभूतपूर्व स्थितियों का सामना किया. उन्हीं मौसमी घटनाओं के कारण मौसमी संबंधी शब्दकोश में एक नया शब्द युग्म शामिल किया गया. यह नया शब्द युग्म था 'वेट बल्ब टेंपप्रेचर'. दुनिया भर में लोगों ने पहली बार जाना कि उच्च आर्द्रता के साथ उच्च तापमान मौत का कारण बन सकता है. यह पहली बार है जब इस समस्या से निपटने के लिए दुनिया भर में भारी मात्रा में निवेश बढ़ रहा है. स्वच्छ ऊर्जा में कुल निवेश बढ़ गया है. पवन और सौर ऊर्जा की लागत में गिरावट जारी है. हाइड्रोजन को स्वच्छ ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने के उद्देश्य से पहला व्यावसायिक उद्यम चालू हो रहा है.
2. हमास का इजरायल पर हमला और फिर पलटवार...मानवता का ध्वंस
इस साल सितंबर 2023 के अंत में मध्य पूर्व में स्थितियां आशाजनक और शांतिपूर्ण दिख रहीं थी. अब्राहम समझौते से इजरायल और अरब देशों के बीच संबंध गहरे हो रहे थे. अटकलें तेज हो गईं थी कि सऊदी अरब जल्द ही इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर सकता है. यमन के भीषण गृहयुद्ध में युद्ध विराम जारी था. शायद यही वजह थी कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने यह कहा कि मध्य पूर्व क्षेत्र आज पिछले दो दशकों की तुलना में सबसे अधिक शांत है. लेकिन साल 2023 अपने गर्भ में कुछ और पाले हुए था. दुनिया को एक बार फिर पिछली लड़ाइयों में मारे गये लोगों की संख्या याद आनी थी. इसबार उस संख्या को इतिहास की सभी संख्याओं को पीछे छोड़ देना था. सितंबर के महीने को खत्म हुए आठ दिन भी नहीं बीते थे 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया. यह इजरायल के ऊपर बीते कुछ दशकों में हुआ सबसे बड़ा हमला था. लगभग 1,200 इजरायली मारे गए. हमास ने करीब 240 लोगों को बंधक बना लिया गया. इसकी प्रतिक्रिया होनी निश्चित थी. इजरायल ने हवाई हमलों से शुरुआत की और फिर उत्तरी गाजा पर पैदल सैनिकों ने हमला किया. इस क्षेत्र में रहने वाले लाखों लोग अनजान स्थानों पर पलायन को मजबूर हो गये. नवंबर के अंत में बातचीत के जरिए लड़ाई रोकने से लगभग एक सौ बंधकों की रिहाई सुनिश्चित हो गई. लेकिन इजरायली सैनिकों ने दक्षिणी गाजा पर आक्रमण का फैसला किया. एक बार फिर शांति की सभी उम्मीदों पर बम वर्षा होने लगी. फिलिस्तीनी नागरिकों, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे, की बढ़ती मौत ने दुनिया भर को एक बार सोचने को मजबूर कर दिया. सवाल उठने लगे कि क्या इजराइल अपने नागरिकों के लिए न्याय तलाश रहा है या वह युद्ध अपराधी है. इजरायल ने सवालों को दरकिनार करते हुए कहा कि हमास फिलिस्तीनी नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति की इजरायल यात्रा ने उसके पक्ष को और मजबूत कर दिया. हालांकि, दिसंबर की शुरुआत में, अमेरिकी अधिकारी सार्वजनिक रूप से इजरायल से फिलिस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए और अधिक प्रयास करने का आग्रह करते नजर आये. इजरायल और फिलिस्तीन के बीच का संघर्ष शायद आधुनिक वैश्विक राजनीति का सबसे प्राचीन सवाल है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि साल 2024 के शुरुआती कुछ महीनों में यह सवाल हमें सालता रहेगा.
3. रूस यूक्रेन युद्ध, वैश्विक राजनीति का वह चौराहा जिसके आगे कोई रास्ता नहीं
अब अगर पलट कर देखें तो साल 2023 की शुरुआत में दुनिया भर के राजनीतिक विशेषज्ञों के सामने एक ही सवाल था. रूस यूक्रेन युद्ध किस दिशा में जायेगा. 12 महीने बाद भी यह सवाल जस का तस है. अगर रूस यूक्रेन पर कब्जा करने में पूरी तरह से सफल नहीं हुआ तो यूक्रेन भी रूस को कोई ऐसा बड़ा झटका देने में कामयाब नहीं हो सका जिसका उल्लेख किया जाये. उल्लेखनीय है तो बस युद्ध में मारे जाने वाले सैनिकों और आम नागरिकों की संख्या. संयुक्त राष्ट्र ने पुष्टि की कि 24 सितंबर 2023 तक इस युद्ध में 9,701 नागरिक मारे गए हालांकि खुद संयुक्त राष्ट्र ने भी माना कि वास्तविक संख्या इससे अधिक होगी. इस युद्ध में अब तक 17,748 लोग घायल हो चुके हैं. बहरहाल अब यह युद्ध जीतने वाले से ज्यादा हारने वाले पर निर्भर करता है. यानी रूस और यूक्रेन जो भी इसे जितना अधिक लंबा खींच पायेगा जीत उसी की होगी.
4. चीन और अमेरिका संबंध : अपनी ही रिंग में उलझे, वैश्विक राजनीति के दो रिंग मास्टर
दिसंबर के महीने में हम यह कह सकते हैं कि साल 2023 की शुरुआत जिस चमकदार उजाले के साथ हुई थी अलविदा की शाम उतनी ही धूसर है. अमेरिका और चीन, कुछ मुलाकातों के बाद भी वहीं के वहीं हैं. (याद करें फैज अहमद फैज का शेर : हम कि ठहरे अजनबी इतनी मुदारातों के बाद, फिर बनेंगे आश्ना कितनी मुलाकातों के बाद ). साल 2023 की शुरुआत में यू.एस.-चीन तनाव कम होता दिख रहा था. इससे पहले नवंबर में, जो बाइडेन और शी जिनपिंग के बीच बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर एक सार्थक बैठक हुई थी. दोनों देशों की बढ़ती तनावपूर्ण भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पर एक पुल बनाने के लिए राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन फरवरी में बीजिंग का दौरा करने वाले थे. लेकिन अमेरिका के ऊपर एक चीनी निगरानी गुब्बारा दिखाई दिया. इस गुब्बारे ने तमाम राजनीतिक और आर्थिक कोशिशों की हवा निकाल कर रख दी. अमेरिकी वायु सेना एफ-22 रैप्टर ने दक्षिण कैरोलिना के तट पर इसे मार गिराया. तब तक एक सप्ताह का समय बीत गया. बीजिंग ने जोर देकर कहा कि मौसम की निगरानी के दौरान गुब्बारा गलत तरीके से अमेरिकी सीमा में दाखिल हो गया. जाहिर तौर पर अमेरिका ने चीन के इस तर्क पर तवज्जो नहीं दी और इसे एक जासूसी कार्रवाई घोषित किया. इस घटना ने अमेरिका में राजनीतिक भावनाओं को भड़का दिया. ब्लिंकन को अपनी बीजिंग यात्रा स्थगित करनी पड़ी. इस चिनगारी को और हवा तब मिली जब गुब्बारा गिराए जाने के बाद चीनी अधिकारियों ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन का फोन तक नहीं उठाया. और फिर साल की शुरुआत में तैयार किये गये संचार पुल अपने मानचित्र में चिंदी-चिंदी हो गया. हालांकि, जून में ब्लिंकन ने अंततः बीजिंग की यात्रा की. जिसे निश्चित ही प्रेस वार्ताओं में 'रचनात्मक' वार्ता के तौर पर प्रसारित किया गया. जिसके तुरंत बाद ही वाशिंगटन ने चीन पर नये व्यापार प्रतिबंध लगा दिये. ना तो चीन एशिया में ताइवान, फिलीपींस पर अपनी पकड़ कमजोर करने के लिए तैयार हुआ. और ना ही अमेरिका ने इन मुद्दों को लेकर सार्वजनिक मंचो पर बोलना कम किया. नवबंर में बाइडेन और शी की मुलाकात जरूरी हुई लेकिन उन मुलाकातों में गर्मजोशी की उतनी ही कमी थी जितनी जाड़ों में धूप की होती है. बातचीत में कुछ छोटे-मोटे समझौते हुए लेकिन कोई बड़ी सफलता नहीं मिली. कह सकते हैं कि चीन और अमेरिका संबंध, अपनी ही रिंग में उलझे, वैश्विक राजनीति के दो बड़े रिंग मास्टर की कहानी है और अब देखना दिलचस्प होगा कि 2024 में कौन खेल को अपने हिसाब से चला पाता है.
5 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)... मानवता का सुखद स्वप्न या असमानता को बढ़ावा देने का टूल : कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) वादा और जोखिम दोनों प्रदान करती है. पिछले साल चैटजीपीटी की लॉन्चिंग के साथ एआई लोगों की चेतना में छा गया. 2023 में, तथाकथित बड़े-भाषा मॉडल पर आधारित तकनीक न केवल बेहतर हो गई बल्कि चैटजीपीटी का नवीनतम संस्करण कथित तौर पर अपने पूर्ववर्ती की तुलना में दस गुना अधिक उन्नत है. सरकारें, कंपनियां और व्यक्ति इसकी क्षमता का दोहन करने के लिए तेजी से आगे बढ़े. इससे इस बात पर गरमागरम बहस शुरू हो गई कि क्या एआई मानव रचनात्मकता और समृद्धि का एक नया युग शुरू कर रहा है या यह एक पेंडोरा बॉक्स खोल रहा है जो एक बुरे सपने का भविष्य पैदा करेगा. आशावादियों ने बताया कि कैसे एआई कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व गति से वैज्ञानिक सफलताएं प्राप्त कर रहा है. इसकी वजह से तेजी से दवाएं बन रही हैं. यह मुश्किल गणितीय समस्याओं को हल कर रहा है. जबकि एआई को लेकर सतर्क रहने वाले लोगों ने कहा कि प्रौद्योगिकी मनुष्यों की इससे होने वाले नुकसान का आकलन करने और उसे कम करने की क्षमता से अधिक तेजी से विकसित हो रही है, चाहे वह बड़े पैमाने पर बेरोजगारी पैदा कर रही हो, मौजूदा सामाजिक असमानताओं को बढ़ा रही हो, या मानवता के विलुप्त होने का कारण बन रही हो.
एआई के अग्रदूतों में से एक जेफ्री हिंटन ने एआई के खतरों के बारे में चेतावनी देने के लिए Google में अपनी नौकरी छोड़ दी. एलोन मस्क और स्टीव वोज्नियाक जैसे प्रौद्योगिकी नेताओं ने एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर करके चेतावनी दी कि एआई 'समाज और मानवता के लिए गहरा खतरा' है. इस बीच, संशयवादियों ने तर्क दिया कि एआई के अधिकांश वादे पटरी से उतर जाएंगे क्योंकि मॉडल जल्द ही अपने स्वयं के आउटपुट पर प्रशिक्षण शुरू कर देंगे, जिससे वे वास्तविक मानव व्यवहार से अलग हो जाएंगे. ऐसा प्रतीत होता है कि सरकारें एआई के लाभों का दोहन करने और इसके जोखिमों को नियंत्रित करने के लिए व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से तेजी से आगे नहीं बढ़ रही हैं.
6 . गृहयुद्ध ने मचायी तबाही... एक साल में लोकतंत्र से फिर तानाशाह के हवाले हो गया सूडान