हैदराबाद : लंबे समय से कांग्रेस के अंदर अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर सुगबुगाहट हो रही थी. कांग्रेस को मिल रही लगातार चुनावी हार के बाद से कई नेताओं ने पार्टी संगठन में बदलाव की मांग की. सबकी नजरें अध्यक्ष पद की ओर थी. पार्टी को लंबे समय से अध्यक्ष की तलाश थी. राहुल गांधी के हटने के बाद सोनिया गांधी कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में यह पद संभाल रहीं थीं. कांग्रेस के अधिकांश नेताओं ने राहुल गांधी से अध्यक्ष पद संभालने की प्रार्थना की. पर, राहुल गांधी इसके लिए तैयार नहीं हुए. सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों से इस पद के लिए तैयार नहीं थीं. ऐसे में अध्यक्ष कौन बने, यह सवाल कांग्रेस को परेशान कर रहा था. तभी पार्टी ने अध्यक्ष पद के चुनाव की घोषणा कर दी.
पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव तो अवश्य हुआ, लेकिन उसको लेकर आंतरिक रस्सा-कशी भी खूब चली. पर्दे के पीछे से बहुत सारी स्थितियों को 'कंट्रोल' किया गया. कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की जब घोषणा की गई थी, तो खड़गे का नाम सामने नहीं आया था. ऐसा माना जा रहा था कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष बनेंगे. राजनीतिक सूत्रों ने यह भी बताया कि गहलोत को आलाकमान की हरी झंडी मिल चुकी थी. 22 अगस्त को उन्होंने औपचारिक तौर पर अध्यक्ष चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी. पर, गहलोत को यह 'मंजूर' नहीं था. वैसे, औपचारिक तौर पर गहलोत ने ऐसा कभी कहा नहीं. दरअसल, वह चाहते थे कि प्रदेश की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ ही अध्यक्ष पद की भी जवाबदेही निभाएं. इस बाबत उन्होंने अपना बयान भी दिया था. उन्होंने कहा था कि वह एक साथ कई भूमिका निभा सकते हैं.
इधर पार्टी हलकों में यह खबर चल पड़ी कि गहलोत के अध्यक्ष बनते ही राजस्थान की कमान सचिन पायलट को दे दी जाएगी. इस खबर की भनक जैसे ही गहलोत और उनके समर्थकों को लगी, वे चौकन्ने हो गए. गहलोत चाहते थे कि यदि उन्हें सीएम पद से हटने को कहा जाएगा, तो इसकी जगह पर उनकी 'पसंद' का कोई व्यक्ति सीएम बने. वह कतई नहीं चाहते थे कि पायलट को यह जिम्मेदारी दी जाए. वैसे औपचारिक तौर पर उन्होंने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया. इसके बाद अंदरूनी राजनीति शुरू हो गई. खींचतान बढ़ी. कांग्रेस ने अपने दो पर्यवेक्षकों, अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे, को राजस्थान भेजा.
जिन दिन राजस्थान के विधायकों के साथ पर्यवेक्षकों की बैठक होनी थी, उस दिन विधायक उनसे मिलने ही नहीं आए. उलटे कांग्रेस के 82 विधायकों ने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के सामने इस्तीफा पेश करने का दावा कर दिया. ये सभी विधायक गहलोत के समर्थक बताए जा रहे थे. गहलोत से जब इस बाबत पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह सब उनके बस में नहीं है. कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि 10-15 विधायकों की सुनवाई हो रही है. जबकि अन्य विधायकों की उपेक्षा हो रही है. पार्टी हमारी नहीं सुनती. निश्चित तौर पर उनका इशारा सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की ओर था.