जम्मू : जम्मू की एक विशेष अदालत ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक (Yasin Malik) को सोमवार को कानूनी सहायता की पेशकश की, लेकिन उसने इसे ठुकरा दिया और 1990 में भारतीय वायुसेना (IAF) के चार कर्मियों की हत्या मामले की सुनवाई के दौरान अपनी भौतिक पेशी पर फिर जोर दिया. सीबीआई की स्थायी वकील मोनिका कोहली ने कहा कि मलिक दिल्ली की तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई में पेश हुआ, जहां वह फिलहाल बंद है. 56 वर्षीय मलिक आतंकवाद वित्तपोषण मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है.
कोहली ने कहा कि जेकेएलएफ प्रमुख मलिक द्वारा कानूनी सहायता की पेशकश ठुकरा दिए जाने के बाद अदालत ने उससे कहा कि वह सितंबर के तीसरे सप्ताह में अगली सुनवाई पर अपना पक्ष लिखित में रखे. अदालत ने भौतिक पेशी की उसकी अर्जी खारिज करते हुए कहा कि सभी मामलों में आरोपी को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेश करने के लिए उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं. सीबीआई वकील ने कहा कि हालांकि, अदालत ने उसे कानूनी सहायता की पेशकश की, लेकिन उसने मना कर दिया.
रूबैया सईद अपहरण मामले की सुनवाई कर रही जम्मू की एक अदालत में उसे भौतिक रूप से पेश होने की अनुमति देने के अनुरोध वाली उसकी अर्जी पर केंद्र द्वारा जवाब नहीं देने के बाद मलिक ने 22 जुलाई से 10 दिनों की भूख हड़ताल की. इस मामले में मलिक एक आरोपी है. मलिक के खिलाफ दो प्रमुख मामलों में कोहली मुख्य अभियोजक हैं. इनमें 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण और वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या का मामला शामिल है. वायुसेना कर्मियों की हत्या कश्मीर घाटी में आतंकवाद की शुरुआत के दौरान हुई थी.