अयोध्या: राम नगरी में हुए दीपोत्सव के आयोजन ने यहां की कीर्ति को पूरी दुनिया में पहुंचाया है. यहां भगवान श्रीराम के जन्मस्थान के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं के भी मंदिर मौजूद हैं. इन्ही मंदिरों में एक ऐसा विचित्र मंदिर है मृत्यु के देवता यमराज का. यम द्वितीय तिथि पर यहां मेला भी लगता है.
यमराज की पूजा से अकाल मृत्यु का भय होता है समाप्त
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को राम नगरी अयोध्या में एक अनूठी परंपरा का पालन होता है, जिसमें बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ श्रद्धालु मां सरयू में स्नान करते हैं और भगवान यमराज के मंदिर में जाकर उनकी पूजा- अर्चना करते हैं. मान्यता है कि यम द्वितीया तिथि पर यमराज की पूजा अर्चना करने पर अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है, इससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
अयोध्या स्थित यमराज मंदिर इसी मनोकामना को लेकर बड़ी संख्या में लोग अयोध्या के जमथरा घाट पर पहुंचे और उन्होंने भगवान यमराज की पूजा अर्चना की.
यमराज ने बहन यमुना को दिया था वरदान
यम द्वितीया पर्व को लेकर धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं. सरयू नदी के किनारे पुरोहित का कार्य करने वाले पुरुषोत्तम पांडे ने बताया कि यमराज और यमुना भाई-बहन है. भाई दूज पर जब यमुना ने यमराज को रक्षासूत्र बंधन बांधा था, तब यमुना ने यमराज से यह वरदान मांगा था कि आज के दिन जो व्यक्ति यमुना नदी में स्नान करेगा और यमराज की पूजा करेगा उसका मृत्यु का भय समाप्त हो जाए. इसी वजह से भाई दूज का पर्व मनाया जाता है और यमराज की पूजा-अर्चना होती है. इसी कारण प्रमुख नदियों के किनारे स्नान पूजन करने का विशेष महत्व है.
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सदियों से चली आ रही परम्परा
सरयू तट के किनारे यम द्वितीया तिथि पर अयोध्या के जमथरा घाट पर लोग दर्शन और पूजन के लिए पहुंचे. श्रद्धालु खुशी गुप्ता ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि दीपावली के बाद इस घाट पर लोग अपने घर में स्थापित पुरानी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का विसर्जन भी करते हैं, जिसके बाद स्नान और भगवान यमराज का दर्शन करते हैं. इस परंपरा का पालन करने के लिए इस वर्ष भी बड़ी संख्या में लोग सुबह होते ही सरयू तट के किनारे पहुंचे.
अयोध्या देवी से वरदान लेकर यमराज ने पाया था रहने का स्थान
अयोध्या में सरयू तट के किनारे स्थित प्राचीन यमराज मंदिर के महंत अवध किशोर शरण ने बताया कि रुद्रयामल ग्रंथ में भी इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि मृत्यु के देवता यमराज ने अयोध्या देवी से अयोध्या में रहने के लिए स्थान मांगा था, जिसे स्वीकार करते हुए अयोध्या देवी ने उन्हें एक निर्जन स्थान पर सरयू तट के किनारे रहने की अनुमति दी थी. इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यह वचन दिया था यम द्वितीय तिथि पर जो भी व्यक्ति सरयू नदी में स्नान करेगा और यमराज की पूजा अर्चना करेगा उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आएगी, वह अकाल मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाएगा. इसी मान्यता के चलते बड़ी संख्या में लोग यम द्वितीय तिथि पर इस प्राचीन मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए आते हैं.