हैदराबाद :चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इतिहास बनाने वाले हैं. चीन की सत्तारुढ कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय समिति में शी जिनपिंग को तीसरी बार राष्ट्रपति मनोनीत करने वाली है. इसके लिए केंद्रीय समिति के 400 सदस्य इस साल की अंतिम बैठक में ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित करने वाले हैं. इस फैसले के बाद जिनपिंग की चीन की सत्ता पर पकड़ बढ़ जाएगी और उनका कद चीन के सर्वोच्च नेता माओत्से तुंग के समकक्ष आंका जाएगा.
100 साल में तीसरी बार आएगा ऐतिहासिक प्रस्ताव :बताया है कि 1921 में अस्तित्व में आने के बाद 100 साल में ऐसा तीसरी बार ही होगा, जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी औपचारिक तौर पर 'ऐतिहासिक प्रस्ताव' पारित करेगी. सबसे पहला ऐतिहासिक प्रस्ताव 1945 में पारित किया गया था, जब माओत्से तुंग ने कम्युनिस्ट चीनी पार्टी पर अधिकार कायम किया था और पार्टी के नियम कायदे तय किए थे. दूसरा ऐतिहासिक प्रस्ताव 1981 में पारित किया गया था. इसके तहत माओ के नेतृत्व के दौरान की गई 'गलतियों' को देंग शियोपिंग (Deng Xiaoping) को आर्थिक सुधार करने के लिए अधिकृत किया गया. सेंट्रल एडवायजरी कमिशन के चेयरमैन देंग शियोपिंग ने चीनी अर्थव्यवस्था में बदलाव किए.
शी जिनपिंग साम्यवाद और आर्थिक सुधार का जो खाका पेश किया, उसे चीन के लिए नई क्रांति बताया जाता है. अब तीसरी बार 'ऐतिहासिक प्रस्ताव' शी जिनपिंग को राष्ट्रपति का तीसरा कार्यकाल देने के लिए लाया जा रहा है. 68 साल के शी जिनपिंग पहले से ही पार्टी के सर्वोच्च नेता हैं. राष्ट्रपति के अलावा वह कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष भी हैं. इससे पहले तक चीन के राष्ट्रपति को दो कार्यकाल ही मिलता रहा है.
उम्र के नियमों की अनदेखी करेगी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी :पार्टी के प्रस्ताव के बाद साल 2022 में तीसरी बार राष्ट्रपति बनने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी राष्ट्रपति बनने के दो कार्यकाल की सीमा को समाप्त करता है तो शी जिनपिंग को जीवन भर सत्ता में रहने की अनुमति मिल जाएगी. उनको सत्ता में बनाए रखने के लिए पार्टी 68 साल की उम्र सीमा वाले नियम को भी दरकिनार करेगी. हालांकि पार्टी के पोलित ब्यूरो में शामिल 25 सदस्यों को 58 साल की उम्र में रिटायर कर दिया जाएगा. इसके बाद अपने देश की राजनीति में असीमित ताकत हासिल करने के बाद शी जिनपिंग दुनिया के शक्तिशाली नेताओं में नंबर वन हो जाएंगे.
बच्चों के साथ पेड़ों की देखभाल करते शी जिनपिंग. मिथकों से गढ़ा शी जिनपिंग ने बड़ा वजूद :शी जिनपिंग चीन के ऐसे नेता हो गए हैं, जो पार्टी से ऊपर जा चुके हैं. 15 साल की उम्र में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ने वाले जिनपिंग ने येयान से अपना सफर शुरू किया. 1974 में वह माओत्स तुंग की निर्देश पर इस इलाके के गांव में गए. फिर पार्टी ने उन्हें कई तरह की जिम्मेदारी दी. 2007 में वह केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो के चुने गए. 59 साल की उम्र में उन्हें राष्ट्रपति बनाया गया.
राष्ट्रपति बनते ही शि जिनपिंग ने अपने जीवन की संघर्षमय यात्रा के बारे में लोगों को बताना शुरू किया. मसलन कैसे उन्होंने 14 साल की उम्र में वह गुफा में रहने लगे और ढिबरी की रोशनी में पढ़ाई की. अपनी छवि गढ़ने की कोशिश में वह बेहद सरल दिखे. लाइन में लगकर भोजन लेना, अपना बिल खुद भरना और गरीबों के घर में जाकर बात करने जैसे राजनीतिक शैली से वह पार्टी के अलावा देश में पॉपुलर हो गए. उन्होंने देश के प्रचार तंत्र को अपनी नीतियों के समर्थन में रहने की आज्ञा दी और इसके लिए सोशल मीडिया को भी काबू में कर लिया.
असीमित ताकत मिलने के बाद चीन का भविष्य शी जिनपिंग ही तय करेंगे. यहां तक कि 2017 चीन के स्लेबस में यह पढ़ाया जा रहा है कि शी जिनपिंग कैसे अपनी नीतियों से मॉडर्न चीन बना रहे हैं. उनके नजरिया को देश की विचारधारा के तौर पर प्रचारित किया गया.
अभियान चलाकर विरोधियों को किया किनारा :खुद को माओत्स तुंग का वारिस करने वाले शी जिनपिंग ने अपने नौ साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाया . उन्होंने इस बहाने पार्टी में विरोध करने वाले नेताओं और मंत्रियों को अपने लपेटे में ले लिया. अलबत्ता यह भी पहली बार ही होगा कि जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी 100 साल के इतिहास में किसी एक नेता की शान में कसीदे पढ़ेगी.
चीन के गांवों का शहरीकरण हो रहा है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, शी जिनपिंग की महानता कायम रखने के लिए उनके गांव को मूल स्वरूप में छोड़ दिया गया है. जबकि उसके आसपास के गांव पूरी तरह सुविधाओं और टेक्नॉलजी से लैस हो चुके हैं. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी उस गांव की ब्रांडिंग लाल क्रांति की भूमि के तौर कर रही है.