नई दिल्ली :कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चीन और पाकिस्तान में बढ़ी करीबी वाले बयान पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि वह राहुल गांधी के चीन और पाकिस्तान को साथ लाने वाली टिप्पणियों का समर्थन नहीं करता है. गौरतलब है कि बुधवार को लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की विदेश नीति की आलोचना की थी. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया था कि बीजेपी की गलत विदेश नीति के कारण चीन और पाकिस्तान पहले से ज्यादा करीब हो गए हैं.
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि मैं दो देशों के करीब आने के फैसले को पाकिस्तानियों और चीन छोड़ दूंगा. अमेरिका निश्चित रूप से राहुल गांधी की टिप्पणियों का समर्थन नहीं करता है. बता दें कि बुधवार को लोकसभा में भाषण के बाद विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने भी चीन और पाकिस्तान को एक साथ लाने वाले बयान के लिए कांग्रेस नेता को फटकार लगाई थी.
लोकसभा में कांग्रेस नेता के आरोप का तीखा जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि 1963 में पाकिस्तान ने अवैध रूप से शक्सगाम घाटी को चीन को सौंप दिया था. चीन ने 1970 के दशक में पीओके के रास्ते काराकोरम हाईवे का निर्माण किया था. 1970 के दशक में भी दोनों देशों के बीच घनिष्ठ परमाणु सहयोग भी था. 2013 में, चीन ने पाकिस्तान में इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण शुरू किया. इसलिए राहुल अपने आप से पूछें कि क्या तब चीन और पाकिस्तान दूर थे?
अपने भाषण में कांग्रेस नेता ने कहा था कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान और चीन को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है, यह भारत के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है. उन्होंने कहा था कि चीन के पास एक बहुत स्पष्ट विजन है कि वह क्या करना चाहते हैं. भारत की विदेश नीति का एकमात्र सबसे बड़ा रणनीतिक लक्ष्य पाकिस्तान और चीन को अलग रखना है. यह भारत के लिए जरूरी है, लेकिन बीजेपी सरकार दोनों को एक साथ ले आई.