नई दिल्ली :बेलपत्र बेल के पत्ते को कहते हैं, लेकिन इसके लिए एक खास नियम है, जिस पत्ते में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं, उसे ही बेलपत्र माना जाता है. इसको लेकर कई तरह की पौराणिक कथाएं व मान्यताएं सुनायी जाती हैं, जिसमें तीन पत्तों को कहीं त्रिदेव तो कहीं तीन गुणों तो कहीं तीन आदि ध्वनियों से जोड़कर देखा जाता है. कुछ जगहों पर इसे भोलेनाथ के त्रिशूल से भी जोड़ा जाता है.
तीन पत्तों की मान्यताएं
तीन पत्तों को कहीं त्रिदेव अर्थात सृष्टि के सृजनकर्ता, पालनकर्ता और विनाशकर्ता देवस्वरूप ब्रह्मा, विष्णु और शिव का स्वरूप कहा जाता है. कुछ जगहों पर ऐसा कहा जाता है कि बेलपत्र हमारे तीन गुणों सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण का प्रतिनिधित्व करता है. वहीं कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि बेलपत्र तीन उन आदि ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करता है, जिनकी सम्मिलित गूंज से ऊं (ओंकार) बनता है. वहीं कुछ लोग बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को भोलेनाथ की तीनों आंखों से जोड़कर देखते हैं. वहीं कहीं-कहीं इसे उनके शस्त्र त्रिशूल का भी प्रतीक मानकर पूजा में इस्तेमाल किया जाता है.