सिरोही.राजस्थान के सिरोहीजिले में विश्व की सबसे बड़ी गोशाला के साथ ही अब नंदीशाला का भी कीर्तिमान दर्ज होने जा रहा है. जिले की पथमेड़ा गोशाला श्री अर्बुदा गोनन्दी तीर्थ में 5 नवंबर से शहरी क्षेत्र के बेसहारा गोवंश और नंदी का प्रवेश शुरू कर दिया गया है. सिरोही जिला मुख्यालय से इस मुहिम का आगाज होगा. कुल 15 हजार की क्षमता वाली इस नंदीशाला में पहले साल 5 हजार नंदी रखे जाएंगे. पथमेड़ा के सहयोग से पहले भी गोवंश संरक्षण की मुहिम जारी है, जिसके तहत देशभर की पथमेड़ा से जुड़ी गोशालाओं में डेढ़ लाख से ज्यादा गोवंश को संरक्षण दिया गया है. नंदीशाला के लिए सरकार से पहले चरण में 1.5 करोड़ की राशि मिली है, जिससे इसका निर्माण हो रहा है. गौरतलब है कि एक नंदी पर रोजाना का खर्चा 250 से लेकर 300 रुपए का औसत खर्च होता है.
2 हजार बीघा में नंदीशाला :संस्थान के प्रधान सचिव रघुनाथ राजपुरोहित ने बताया कि 5 नवंबर को पहले चरण में गोवंश और नंदीशाला को लेकर शुरुआती मंथन में कई चीजें तय की जा चुकी हैं. करीब दो हजार बीघा जमीन पर इसका निर्माण किया जाएगा, जिसमें अस्थाई रूप से बने चार गोष्ठ में नंदी रहेंगे, वहीं करीब 100 एकड़ जमीन में गायों के लिए हरा चारा उगाया जाएगा. इस दौरान पौष्टिक चारे के लिहाज से मकई, जौ, ज्वार और हरे चारे की पैदावार की जाएगी. शुरुआत में यह तय किया गया है कि यहां कुल 15 हजार गोवंश या नंदी रखे जाएंगे, जिनमें पहले दौर में यानी शुरुआती साल में पांच हजार नंदी यहां रखे जाएंगे. समय के साथ सुविधाओं के इजाफे पर संख्या भी बढ़ जाएगी. इन नंदी की देखभाल के लिए 100 कर्मचारी नियुक्त कर दिए गए हैं, जल्द ही 300 से ज्यादा कर्मचारी मौजूद होंगे.
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गोवंश मालिकों से भी करेंगे समझाइश :पथमेड़ा और राज्य सरकार के सहयोग से बनने वाली नंदीशाला के लिए 30 साल का एमओयू हुआ है. सबसे पहले सिरोही जिले के निराश्रित नर गोवंश को इसमें रखा जाएगा. क्षेत्रफल और नर गोवंश के मामले में यह नंदीशाला विश्व की सबसे बड़ी नंदीशाला बनेगी. इससे पूर्व पथमेड़ा की ओर से संचालित गोलासन नंदीशाला में 13 हजार नंदी हैं. नंदीशाला संचालन समिति की ओर से गोवंश के मालिकों को समझाइश कर घुमंतू गोवंश के पालन के लिए प्रेरित करेंगे.
आज हुए यह कार्यक्रम :श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा लोक पुण्यार्थ न्यास की ओर से परम श्रद्धेय गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानन्दजी महाराज के पावन सान्निध्य में श्री अर्बुदा गोनन्दीतीर्थ में रविवार से शहरी क्षेत्र के निराश्रित गोवंश और नंदी का प्रवेश शुरू हुआ. प्रवेशोत्सव के दिन पूजा पाठ के साथ कार्यक्रम का आयोजन हुआ. पथमेड़ा के गौ ऋषि दत्त शरणानंद जी महाराज ने गो सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि मानव अपने विवेक का निरादर और बल का दुरुपयोग करता है, जो गलत है. दर्शन शास्त्र में भोग और संग्रह पाप है. आवश्यकता से ज्यादा संग्रह करना अपराध है. करुणा और प्रसन्नता दोनों का स्वरूप मानवता है. दुखियों के दुःख देखकर दुखी होते हैं तो सुखियों को देख सुखी होना चाहिए. ये दोनों हमारे कल्याण का साधक है.
उन्होंने कहा कि गो सेवा का मतलब संपूर्ण धरती की सेवा है. हमारे पूर्वजों ने कहा है गाय का दूध आहार के योग्य है. गाय का दूध मानव की बुद्धि को सात्विक रखता है. गो पालक कभी दुखी नहीं हो सकता. अगर दुखी है तो जरूर उससे कोई गो अपराध हो रहा है. ये आत्म विश्लेषण करना जरूरी है. उन्होंने जैविक खाद का उपयोग करने के फायदे और केमिकल युक्त खाद के नुकसान भी बताए.