हैदराबाद :स्वच्छता हर समाज व हर इंसान के लिए व्यक्तिगत रूप से जरूरी है. वैश्विक और कई देशों में व्यक्तिगत स्तर पर स्वच्छता के लिए अभियान चलाया जाता रहा है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इसके बाद भी दुनिया में 350 करोड़ (3.5 बिलियन) लोग के पास शौचालय की सुविधा नहीं है. वहीं 41.90 करोड़ (419 मिलियन) लोग अभी भी 'खुले में शौच' करते हैं. इस कारण दुनिया में बड़ी संख्या में लोग कई तरह की बीमारियों के साथ जीने को मजबूर हैं. स्वच्छता के अभाव में अनुमान के मुताबिक हर दिन पांच साल से कम आयु के 1,000 बच्चों की मौत हो जाती है. इससे सबसे ज्यादा महिलाएं, लड़कियां व अन्य कमजोर वर्ग के लोगों के लिए बड़ा खतरा है. 2030 तक सुरक्षित शौचालय और पानी सबों के लिए उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. इसे हासिल करने में महज सात ही दुनिया के सामने है. संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों के अनुसार स्वच्छता के मुद्दे पर पांच गुना तेजी से काम करने के बाद ही इस लक्ष्य को पाया जा सकता है.
वर्ल्ड टॉयलेट डे 2023 के लिए थीम 'त्वरित परिवर्तन' तय किय गया है. इसमें हमिंगबर्ड का उपयोग कर आम लोगों को शौचालय व स्वच्छता प्रणालियों को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए व्यक्तिगत रूप से लोगों को प्रेरित करने का प्रयास किया गया है.
हमिंगबर्ड से लें प्रेरणा
शौचालय शब्द सुनने में भले ही छोटा लगे, लेकिन आज के समय में स्वच्छ समाज के लिए यह सबसे मूलभूत आवश्यकता है. वर्ल्ड टॉयलेट डे नामक ग्लोबल संगठन के अनुसार हमिंगबर्ड (Humming Bird) विश्व शौचालय दिवस और विश्व जल दिवस 2023 का प्रतीक बताया है. हमिंगबर्ड के बारे एक प्राचीन कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास किया है. इसके अनुसार एक जगह पर भीषण आग लगी हुई थी. सभी लोग अपने तरीके से प्रयास कर रहे थे. इसी दौरान हमिंगबर्ड अपनी चोंच में पानी की बूंदें लेकर बार-बार आग पर डालती है. भले ही बड़ी आग पर काबू पाने के लिए उसका प्रयास छोटा हो, लेकिन अगर यह प्रयास सामूहिकता में किया जाय तो इससे बड़ी सफलता मिल सकती है. स्वच्छता संकट से निपटने के लिए जिताना अधिक सामूहिक प्रयास होगा, स्वच्छता का लक्ष्य उतना ही आसानी से निर्धारित समय पर मिल सकता है.