हैदराबाद : जीवन के महत्वपूर्ण पलों को सहेजने के लिए फोटोग्राफी बेहद जरूरी है. कहते हैं कि अगर किसी पल को अमर बनाना हो तो उसे कैमरे में कैद कर लेना चाहिए. इससे पहले कि कैमरे नहीं थे, ड्राइंग व्यक्तियों के लिए अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम था. प्राचीन गुफाओं में उनके द्वारा चित्रित भित्तिचित्र इस तथ्य की गवाही देते हैं. लेकिन अब स्थिति बदल गई है और आज के डिजिटल युग में ड्राइंग की जगह कैमरे ने ले ली है. फोटोग्राफी के महत्व को बताने के लिए 19 अगस्त को पूरी दुनिया में 'वर्ल्ड फोटोग्राफी डे' मनाया जाता है.
एक तस्वीर हजारों शब्दों के बराबर होती है और ये शब्द एक तस्वीर का सटीक वर्णन करते हैं, जिसमें एक क्षण, एक अनुभव या एक विचार को कैद करने की क्षमता होती है. एक तस्वीर में किसी स्थान को कैद करने की क्षमता होती है; एक अनुभव; एक आइडिया; इस समय में एक पल. इसी कारण से, यह कहा जाता है कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है. तस्वीरें भावनाओं को शब्दों से कहीं अधिक तेजी से और कभी-कभी तो और भी अधिक प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सकती हैं. एक तस्वीर दर्शकों को दुनिया को वैसे ही देखने पर मजबूर कर सकती है जैसे फोटोग्राफर उसे देखता है.
आज हम जिस प्रकार की फोटोग्राफी के बारे में जानते हैं, वह 1839 से चली आ रही है. उस समय, फ्रेंच एकेडमी ऑफ साइंसेज (French Academy of Sciences) ने डागुएरियोटाइप प्रक्रिया (Daguerreotype process) की घोषणा की थी. इस प्रक्रिया ने तांबे की शीट पर अत्यधिक विस्तृत छवि बनाना संभव बना दिया. शीट को चांदी की पतली परत से लेपित किया गया था और इस प्रक्रिया में नकारात्मक के उपयोग की आवश्यकता नहीं थी. यह कैमरे से स्थायी छवि प्राप्त करने की पहली विधि बन गई.
डिजिटल फोटोग्राफी के विस्फोट के साथ, बहुत से लोग अब अपने कैमरों में फिल्म का उपयोग नहीं करते हैं. हालांकि, कुछ फोटोग्राफर डिजिटल फोटोग्राफी के बजाय फिल्म का उपयोग करना पसंद करेंगे.
इन कारणों से अभी भी फिल्म से फोटोग्राफी पसंद करते हैं
- हायर रेजुलेशन (Higher resolution)
- बिजली की आवश्यकता नहीं (No electricity required)
- कॉपीराइट के मुद्दे कम होते हैं (Fewer copyright issues)
- फोटो (फिल्म) की तुलना में डिजिटल फोटो सुरक्षित रखना आसान
विश्व फोटोग्राफी दिवस 2023 का थीम
विश्व फोटोग्राफी दिवस 2023 का थीम "लैंडस्केप्स (LANDSCAPES) है. Worldphotographyday.com के अनुसार, "इस साल विश्व फोटोग्राफी दिवस पर स्वयं द्वारा कैमरे में कैद सबसे अच्छी तस्वीरें साझा करें. अपनी पसंद के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर #WorldPhotographyDay और #WorldPhotographyDay2023 टैग कर शेयर करना न भूलें.
पहली तस्वीर लेने में लगा 3 मिनट का समय
आज के दौर में फोटोग्राफर एक से ज्यादा कैमरे का इस्तेमाल करते हैं. चंद पल (सेकंड) तस्वीरें लेने की नवीनतम तकनीक तो हर किसी के हाथ में कोई न कोई कैप्चर करने के लिए स्मार्ट फोन है. लेकिन जब पहली तस्वीर ली गई तो यह कैसे संभव हुआ? आइए हम आपको बताते हैं कि वर्ष 1839, रॉबर्ट कॉर्नेलियस ( Robert Cornelius) नाम के एक व्यक्ति ने अपने पिता की दुकान की तस्वीर लेने के लिए एक कैमरा लगाया फिलाडेल्फिया (Philadelphia) और फिर तस्वीर क्लिक की. फिर फोटो खींचने के करीब 3 मिनट बाद पोर्ट्रेट तस्वीर सामने आई.