World NET Cancer Day : कितना खतरनाक होता है न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर, एक्टर इरफान खान भी इससे पीड़ित थे - विश्व न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर दिवस
कैंसर के बहुत से बहुत से प्रकार देखने सुनने में आते हैं. जिनमें में कुछ प्रचलित हैं यानी उनके बारे में लोगों में जानकारी है, वहीं कुछ के नाम तक से आम लोग परिचित नहीं होते हैं. दुनिया भर में कैंसर की गंभीरता तथा उसके प्रकारों को लेकर जानकारी व जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से अलग-अलग दिनों को अलग-अलग प्रकार के कैंसर के लिए जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी श्रेणी में 10 नवंबर को वैश्विक स्तर पर 'विश्व नेट कैंसर दिवस' मनाया जाता है. World NET Cancer Day, World NET Cancer Day History, Neuroendocrine Tumors, World Neuroendocrine Cancer Day.
हैदराबाद :न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर ऐसा कैंसर हैं जो पीड़ित की न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाओं में शुरू होता तथा फैलता है. यह कैंसर का एक दुर्लभ प्रकार है और इसके बारें में लोगों में बहुत ज्यादा जानकारी देखने-सुनने में नहीं आती है. इस कैंसर को घातक श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि ना सिर्फ यह शरीर में फैलकर अन्य स्वस्थ अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकता है बल्कि जानलेवा प्रभाव भी दे सकता है. गौरतलब है कि एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स, भारतीय अभिनेता इरफान खान तथा अमेरिकी गायिका एरेथा फ्रैंकलिन, इसी नेट कैंसर या न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर का शिकार होकर मृत्यु से हार गए थे.
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (एनईटी) कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ इसके निदान, उपचार व बेहतर इलाज को लेकर अनुसंधान में सुधार के लिए तथा इससे जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए मौका व मंच प्रदान करने के उद्देश्य से हर साल 10 नवंबर को विश्व नेट कैंसर दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष यह दिवस "इजीली मिस्ड" थीम पर मनाया जा रहा है.
क्या है न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर
न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर दरअसल न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाओं में होने वाले ट्यूमर से जुड़ा कैंसर है. न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाओं में हार्मोन बनाने वाली तथा तंत्रिका कोशिकाएं शामिल होती हैं, जो पूरे शरीर में मौजूद होती हैं. न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर आमतौर पर शरीर के उन हिस्सों में बनता है, जहां हार्मोन्स बनते और रिलीज होते हैं. यह सही है कि इस रोग की शुरुआत ट्यूमर के रूप में होती है, जिसका सही समय पर सही इलाज ना होने पर यह कैंसर में परिवर्तित हो सकता है. लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी है कि हर न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर नहीं होता है या कैंसर में परिवर्तित नहीं होता है.
चिकित्सकों के अनुसार न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर आमतौर पर अग्न्याशय, मलाशय, अपेंडिक्स, परिशिष्ट, छोटी आंत सहित पेट से जुड़े अंगों, मस्तिष्क, फेफड़ों तथा हार्मोन ग्रंथियों जैसे थाइमस, थायरॉयड ग्रंथि, अधिवृक्क ग्रंथियों और पिट्यूटरी ग्रंथि में भी दिखाई दे सकते हैं.
चिकित्सकों की माने तो यह एक क्यूरेबल कैंसर है, यानी सही समय पर जांच, सर्जरी द्वारा ट्यूमर निकाल कर और उसके बाद जरूरी थेरेपी , दवाओं व अन्य इलाज की मदद से यह ठीक हो सकता है. लेकिन इससे पूरी तरह से ठीक होने की संभावना इस बार पर भी निर्भर करती है कि ट्यूमर शरीर के किस हिस्से में हैं. जैसे पैंक्रियाज में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर का इलाज काफी जटिल माना जाता है.
उद्देश्य तथा इतिहास
एम्स द्वारा संचालित दिल्ली कैंसर रजिस्ट्री की वर्ष 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर के कुल 23 मामलों का जिक्र किया गया था. उक्त रिपोर्ट के अनुसार न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के कुल मामलों में सात मरीजों के पैंक्रियाज में , छह मरीजों में फेफड़ों में, तीन मरीजों को हड्डी में, दो के नाक में तथा एक-एक मरीज को पेट, छोटी आंत, कोलन, गॉलब्लेडर तथा त्वचा में ट्यूमर पाया गया था. कहने का तात्पर्य यह है कि यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है.
आमतौर पर इसके लक्षणों को ज्यादातर लोग समय से समझ नहीं पाते हैं क्योंकि कई बार वे बहुत आम होते हैं. देर से लक्षणों की पहचान तथा इलाज में देरी कई बार रोग की गंभीरता को इतना बढ़ा देती है कि ना सिर्फ पीड़ित के पूरी तरह से ठीक होने की संभावना में कमी आने लगती है बल्कि जानलेवा प्रभावों का जोखिम भी बढ़ जाता है.
ऐसे में ना सिर्फ रोग के लक्षणों , इलाज व निदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के सभी प्रकारों जैसे फियोक्रोमोसाइटोमा और पैरागैन्ग्लिओमा आदि के बारें में हर संभव तरह से ज्यादा से ज्यादा लोगों में जानकारी फैलाने के चलते विश्व नेट कैंसर दिवस का महत्व काफी ज्यादा बढ़ जाता है. जागरूकता बढ़ाने के साथ ही इस दिवस को मनाए जाने का एक खास उद्देश्य न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से प्रभावित लोगों के बारे में वैश्विक बातचीत को बढ़ावा देना भी है.
इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत वर्ष 2010 में, विश्व नेट समुदाय संचालन समिति द्वारा की गई थी. इस अवसर पर हर वर्ष 10 नवंबर को इस विशेष जागरूकता दिवस के रूप में मनाए जाने का निर्णय भी लिया गया था. वर्तमान में यह आयोजन इंटरनेशनल न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर एलायंस (आईएनसीए) द्वारा आयोजित किया जाता है.
गौरतलब है कि “जेबरा” को नेट कैंसर समुदाय का शुभंकर और अंतरराष्ट्रीय प्रतीक घोषित किया गया है. इसलिए इस दिन लोग ज़ेबरा स्ट्राइप्स वाला रिबन भी पहनते हैं. वहीं इस अवसर पर दुनिया भर में अन्य आयोजनों व जांच शिविरों के साथ शैक्षिक वेबिनार, सम्मेलन, ज़ेबरा वॉक और वर्चुअल वॉक जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं.
हर साल कैंसर मरीजों में से 100 में से 5-7 में नेटकैंसर के मामले पाये जाते हैं.
60-80 फीसदी रोगियों में नेटकैंसर का डॉयग्नोसि एडवांस चरण में ही होता है.
नेटकैंसर के मामलों में गलत डॉयग्नोसि आम बात है.
नेटकैंसर के लक्षण अक्सर अधिक सामान्य स्थितियों के समान होते हैं: आईबीएस, अस्थमा, मधुमेह
नेटकैंसर पूरे शरीर में उन अंगों में उत्पन्न हो सकता है जिनमें न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाएं होती हैं. मुख्य रूप से पेट, आंत, फेफड़े, अग्न्याशय में नेट पाया जाता है.
लगभग सभी नेटकैंसर को घातक माना जाता है, क्योंकि वे अनियंत्रित रूप से बढ़ते हैं.
80 फीसदी से अधिक नेटकैंसर मरीजों को बीमारी का पता लगने के बाद काम-काज बंद करना पड़ जाता है. नेटकैंसर विशेषज्ञ केंद्र में इलाज कराने वाले मरीज़ अधिक सशक्त और जानकार महसूस करते हैं.
उनके इलाज और देखभाल के बारे में.
न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर के मामले कम हैं, लेकिन नेटकैंसर के मरीज हर जगह हैं.
कई मामलों में कुछ लोग लंबे समय तक जीवित रहते हैं.
नेट कैंसर डे पर जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए 10 नवंबर को दुनिया भर में 1000 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे.
नेट कैंसर के बारे में यदि आपको संदेह नहीं है तो आप इसका पता नहीं लगा सकते हैं.