हैदराबाद :वर्ल्ड हैबिटेट डे (विश्व पर्यावास दिवस) प्रतिवर्ष अक्टूबर के पहले सोमवार को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य मानव बस्तियों की स्थिति और पर्याप्त आश्रय के लिए सभी के बुनियादी अधिकार पर जोर देना है. साथ ही लोगों को यह याद दिलाना भी है कि वह भावी पीढ़ियों के निवास के लिए जिम्मेदार हैं. इस वर्ष यह 4 अक्टूबर को मनाया जाएगा. विश्व पर्यावास दिवस को दुनिया को यह दिलाने के लिए भी मनाया जाता है कि हम सभी लोगों को अपने-अपने शहरों और कस्बों के भविष्य को लेकर उसे आकार देने की जिम्मेदारी है.
हर साल, विश्व पर्यावास दिवस की एक नई थीम होती है, जो सभी के लिए पर्याप्त आश्रय सुनिश्चित करने वाली सतत विकास नीतियों को बढ़ावा देने के लिए यूएन-हैबिटेट के जनादेश पर आधारित होती है. साल 2021 की थीम है 'कार्बन मुक्त दुनिया के लिए शहरी कार्रवाई में तेजी लाना.'
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, शहरी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बड़े हिस्से के लिए परिवहन, भवन, ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन के साथ वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लगभग 70 प्रतिशत के लिए शहर जिम्मेदार हैं. यह दिन वैश्विक दौड़ को शून्य अभियान और यूएन-हैबिटेट के क्लाइमेटएक्शन4सिटीज तक बढ़ा देगा और स्थानीय सरकारों को इस साल नवंबर में अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन COP26 के लिए कार्रवाई योग्य शून्य-कार्बन योजनाओं को विकसित करने के लिए प्रेरित करेगा.
विश्व पर्यावास दिवस का इतिहास
- विश्व पर्यावास दिवस की स्थापना 1985 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संकल्प 40/202 के तहत की गई थी.
- विश्व पर्यावास दिवस पहली बार साल 1986 में मनाया गया, जिसकी थीम 'शेल्टर इज माय राइट' थी. उस वर्ष इसके पालन के लिए नैरोबी मेजबान शहर था.
- विश्व पर्यावास दिवस की पिछली थीम: 'शेल्टर फॉर दि होमलेस' (1987, न्यूयॉर्क); 'आश्रय और शहरीकरण' (1990, लंदन); 'फ्यूचर सिटीज' (1997, बॉन, जर्मनी); 'सुरक्षित शहर' (1998, दुबई); 'शहरी शासन में महिलाएं' (2000, जमैका); 'सिटीज विदआउट स्लम' (2001, फुकुओका, जापान), 'शहरों के लिए पानी और स्वच्छता' (2003, रियो डि जनेरियो), 'हमारे शहरी भविष्य की योजना' (2009, वॉशिंगटन), 'बेहतर शहर, बेहतर जीवन' (2010, शंघाई, चीन) और 'शहर एवं जलवायु परिवर्तन' (2011, Aguascalientes, मैक्सिको).
- साल 1989 में यूएन ह्यूमन सेटलमेंट्स प्रोग्राम द्वारा हैबिटेट स्क्रॉल ऑफ ऑनर पुरस्कार लॉन्च किया गया था. वर्तमान में यह दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित मानव बस्तियों का पुरस्कार है.
- इसका उद्देश्य उन पहलों को स्वीकार करना है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है, जैसे- आश्रय का प्रावधान, बेघरों की दुर्दशा को उजागर करना, संघर्ष के बाद पुनर्निर्माण में नेतृत्व करना और मानव बस्तियों और शहरी जीवन की गुणवत्ता को विकसित करना और सुधारना.
शहरीकरण और कार्बन उत्सर्जन
बीसवीं सदी के मध्य से वैश्विक शहरी आबादी तेजी से बढ़ी है. विश्व बैंक के अनुसार 1950 और आज के बीच, दुनिया भर के शहरों की आबादी चौगुनी से अधिक हो गई है. यही वजह है कि 4.2 बिलियन से अधिक लोग अब शहरी वातावरण में रह रहे हैं. यूएनडीईएसए के अनुसार अगले 30 वर्षों में शहरों और कस्बों में और 2.5 अरब लोग शहरों से जुड़ जाएंगे. इसमें 2050 तक शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का प्रतिशत लगभग 70 फीसदी हो जाएगा जो वर्तमान में 55 फीसदी है. वर्तमान में, अधिक विकसित क्षेत्रों की तुलना में तीन गुना अधिक शहरी निवासी कम विकसित क्षेत्रों में रहते हैं. इनमें 90 फीसदी नए शहरी निवासी अफ्रीका और एशिया में रहते हैं. वहीं वर्तमान समय में दुनिया भर के शहरों में ऊर्जा की खपत करीब 75 फीसदी होती है जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 60 फीसदी से अधिक के लिए जिम्मेदार है.
जिस तरह से शहरों की योजना के अलावा उनका निर्माण और प्रबंधन किया जाता है, वह कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन पर 2015 पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर ग्लोबल वार्मिंग को बनाए रखने की कुंजी है. दूसरी तरफ बढ़ती जनसंख्या वृद्धि और शहरों में लोगों के रहने के अलावा कई मामलों में जलवायु परिवर्तन की वजह से विशेषकर गरीबों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में चुनौती पैदा करती है.