World Food Day 2023 : औसतन हर भारतीय सालाना 50 किलो भोजन करते हैं बर्बाद, 14 % से अधिक लोगों को नहीं मिलता है भरपेट खाना - ETV Bharat Day Special Story
दुनिया में खाद्य संकट से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन की ओर से स्थापना दिवस पर 16 अक्टूबर को हर साल विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है. आइए इसके इतिहास, थीम और अन्य पहलुओं के बारे मे विस्तार से जानें. पढ़ें पूरी खबर... Food Crisis In The world. United Nations Food and Agriculture Organization, World Food Day 2023, World Food Day History, World Food Day Theme.
हैदराबाद :आज के समय में भूख, खाद्य सुरक्षा और सबों के लिए पौष्टिक भोजन उपलब्ध करना वैश्विक चुनौती है. इन समस्याओं से लड़ने के लिए लोगों की सामुहिक सहभागित सुनिश्चित करने के लिए हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना 16 अक्टूबर 1945 को रोम में किया गया था. इस कारण विश्व खाद्य दिवस 16 अक्टूबर को मनाया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना के 34 साल बाद साल 1979 में उसके वार्षिक सम्मेलन में भूख और खाद्य संकट की समस्या को देखते हुए विश्व खाद्य दिवस मनाने का प्रस्ताव लाया गया. प्रस्ताव पर सम्मेलन में मौजूद 150 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने सहमति दी. इसके बाद से हर साल विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है. वहीं विश्व खाद्य दिवस के लिए थीम निर्धारण 1981 से किया जा रहा है.
हर साल विश्व खाद्य दिवस के लिए थीम में जरूरत के हिसाब से बदलाव किया जाता है. खेती के लिए पानी की महत्ता को देखते हुए 2023 के लिए थीम 'जल ही जीवन है, जल ही भोजन है' किसी को पीछे न छोड़ें' रखा गया है. धरती पर जीवन के लिए जल आवश्यक है. यह धरती के बड़े हिस्से को कवर करता है. मानव शरीर में यह 50 फीसदी से ज्यादा है. यही नहीं यह हमारे भोजन के उत्पादन और जीवन यापन में अमूल्य स्थान रखता है. संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार पानी अनंत नहीं है. हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. हमारा भोजन या कहें भोजन कैसे उत्पादित होता है. यह सब पानी पर निर्भर करता है. समय आ गया है कि हम भोजन के लिए पानी की दिशा में कदम उठायें और बदलाव लाएं.
आपदा के कारण भारी मात्रा में कृषि उत्पाद का होता है नुकसान
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन की ओर से 13 अक्टूर 2023 की एक आपदा का खेती पर प्रभाव से संबंधित रिपोर्ट के अनुसार बीते 30 सालों में आपदा के कारण 3.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य की फसलें और पशुधन नष्ट हो गये. यह सालान औसतन 123 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है. यह आंकड़ा वैश्विक कृषि सकल घरेलू उत्पाद के 5 फीसदी के बराबर है.
भारत में भोजन की बर्बादी
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की ओर से जारी खाद्य बर्बादी सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय घरों में सालाना 68.7 मिलियन टन भोजन बर्बाद होता है. सामान्य भाषा में कहें तो यह बर्बादी प्रति व्यक्ति लगभग 50 किलोग्राम है. भोजन बर्बाद के मामले में चीन पहले स्थान पर है. वहीं चीन दूसरे पैदान पर है. भारत में कुल उत्पादित भोजन का एक तिहाई हिस्सा खाने से पहले बर्बाद हो जाता है. भारत में बर्बाद होने वाले भोजन की सिर्फ 40 फीसदी का मूल्य 89,000 करोड़/सालान है. यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद या कहें जीडीपी के एक फीसदी के बराबर है. या कहें तो एक फीसदी के बराबर जीडीपी के बराबर भोजन सालान कूडे़दान में बर्बाद हो जाता है और वहीं लाखों लोग भूखे रहने को मजबूर हैं.
भारत में भूख की समस्या
भोजन की बर्बादी को रोककर देश में कुपोषण और भुखमरी की समस्या को काफी हद तक रोका जा सकता है. फीडिंग इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग 194.4 मिलियन लोग या कहें तो 14. 3 फीसदी के करीब आबादी को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा है. वहीं ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 की बात करें तो 125 देशों की सूची में भारत 111वें पायदान पर खड़ा है, जो देश में भूख की गंभीर समस्या को दर्शाता है.