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जपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र में आग, परमाणु आपदा से बाल-बाल बची दुनिया - परमाणु आपदा

रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा है. रूसी सेना ने जपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर कब्जा कर लिया है. परमाणु संयंत्र विशाल टिक वाले बम हैं, जो कभी भी खतरा बन सकते हैं. इन रिएक्टरों के एक हाथ से दूसरे में जाने से खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में सावधानी जरूरी है. वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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जपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र में आग

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Published : Mar 4, 2022, 8:04 PM IST

नई दिल्ली : रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के बीच उस समय भारी तबाही की घटना होते बची जब ज़ापोरिज्जिया (Zaporizhzhia ) में यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र के परिसर के अंदर आग लग गई. एक तरफ जहां दोनों देशों की सेनाएं मोर्चा ले रही हैं, ऐसे में इस आग पर काबू पाना सबसे बड़ी राहत की खबर है. बताया जाता है कि आग 6,000 मेगावाट के परमाणु संयंत्र वही इमारत में लगी थी, जो अब रूसी नियंत्रण में है.

रात के समय हुई इस घटना को लेकर टीवी पर दिख रहा है कि एक इमारत में आग लगी है. एक कार पार्क के बगल में एक विस्फोट हुआ जिसमें धुआं निकल रहा था. इस घटना के बीच रूस और यूक्रेन दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया.

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रूस में भारतीय राजदूत रहे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (एनएसएबी) के पूर्व अध्यक्ष पीएस राघवन कहते हैं, आग का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है. ज्यादा ठोस जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन जाहिर है, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) बहुत चिंतित. अगर हवा में परमाणु सामग्री का रिसाव होता है, तो यह बेहद खतरनाक होगा. दुनिया वह नहीं चाहेगी जैसा 1986 में चेरनोबिल में हुआ था.

NSAB राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) को राष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु मामलों सहित रणनीतिक हित के मुद्दों पर सलाह देता है. IAEA एक अंतरराष्ट्रीय निकाय है जो परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और इसके सैन्य उपयोग को रोकने के लिए काम करता है. परमाणु ऊर्जा विभाग के परमाणु खनिज प्रभाग से सेवानिवृत्त हुए आदर्श सरदाना ने कहा ' निसंदेह एक तबाही टल गई. अगर रेडिएशन का स्तर बढ़ गया होता तो यह बेहद खतरनाक और विनाशकारी होता.' IAEA के मुताबिक संयंत्र में और उसके आसपास विकिरण का स्तर नहीं बढ़ा है.

उन्होंने कहा कि 'मिसाइल हमले या संयंत्र अंदर फटने से एक बड़ा विस्फोट होगा, जिससे प्लूटोनियम जैसी रेडियोधर्मी सामग्री हवा में चारों ओर फैल जाएगी और कहर बरपाएगी. विभिन्न रेडियोधर्मी पदार्थों की शेल्फ लाइफ अलग-अलग होती है. सबसे कम शेल्फ-लाइफ वाली सामग्री का मिनटों में सबसे तेज प्रभाव होगा, जबकि सबसे लंबे शेल्फ-लाइफ वाले का सबसे धीमा प्रभाव होगा, जो आने वाली पीढ़ियों पर भी असर पड़ेगा. रेडियोधर्मी पदार्थ हवा में फैलने से जीव, जमीन, पानी, वनस्पति और आसपास की संरचनाओं पर असर पड़ेगा.

सरदाना ने कहा कि परमाणु संयंत्र किसी विरोधी के हाथों में पड़ने के बाद एक बड़ा खतरा बना हुआ है. इस तरह के हमले की स्थिति में प्लांट में काम करने वाले वैज्ञानिक और तकनीशियन भाग जाते हैं. नए लोगों को ये नहीं पता होता है कि उसे नियंत्रित कैसे किया जाए. ऐसे में यदि रिएक्टर की निगरानी नहीं की जाती है. रिएक्टर से अत्यधिक गर्मी को कैसे नियंत्रित करना है, ये नहीं पता होता है तो विनाशकारी विस्फोट हो सकता है. ऐसे में जिस किसी का भी नियंत्रण है उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि प्लांट में सुचारु रूप से काम जारी रहे.

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अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने भी यह संकेत देते हुए कि चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं, ट्वीट किया कि 'परमाणु संयंत्र की भौतिक अखंडता से समझौता किया गया है ... यह कार्रवाई का समय है ... यूक्रेन ने हमें इस संबंध में अनुरोध भेजा है. मैंने रूस और यूक्रेन दोनों को अपनी उपलब्धता और जल्द से जल्द यात्रा करने की स्थिति का संकेत दिया है.

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