नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी ( Covid pandemic) के कारण आर्थिक संकट (financial crunch) से बच्चे कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं. महामारी के समय लिए गए कर्ज का बोझ उतारने के लिए ऐसे बच्चे अपने परिवार की मदद करना चाहते हैं लेकिन वे मानव तस्करी के शिकार हो रहे हैं.
बिहार के एक गांव से जयपुर में चूड़ियों की फैक्टरी में काम करने जा रहे ऐसे ही एक बच्चे को रास्ते में मुक्त कराया गया. गया जिले के बिलाव नगर के 12 वर्षीय लड़के महेश (छद्म नाम) ने बताया, 'काम करके मैं अपने दादा-दादी और भाई-बहनों की मदद कर सकता था. मुझे आठ साल की बहन और छह साल के भाई को भूखा देख बुरा लगता है..हम जिस आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं उसको समझने के लिए वे बहुत छोटे हैं.'
देश में ऐसे हजारों बच्चे हैं जिन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान अपने अभिभावकों, दादा-दादी और अन्य बुजुर्गों द्वारा लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए काम करना पड़ रहा है. ऐसे बच्चों की सटीक संख्या के बारे में नहीं पता है लेकिन कार्यकर्ताओं का मानना है कि मार्च 2020 से कर्ज में डूबे बच्चों की संख्या बढ़ी है.
गया में गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर डायरेक्ट के साथ काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दीना नाथ ने कहा, 'इनमें से कई बच्चों के परिवारों ने लॉकडाउन के दौरान कर्ज लिए थे. अब उन्हें कर्ज अदा करना है. इससे इन बच्चों पर कमाने और अपने परिवार का सहयोग करने का दबाव आ गया है.'