लखनऊ : दुनियाभर में आठ जून को ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है. इसका मकसद, जागरूकता के जरिए आमजन को घातक बीमारी से सतर्क करना है. यह शरीर के सबसे संवेदनशील अंग मस्तिष्क को किसी भी उम्र में अपनी चपेट में ले लेता है. युवा, बुजुर्ग हों या बच्चे सभी पर ट्यूमर हमलावर है. इसमें सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी ही इलाज का विकल्प है. वहीं देश की आबादी के लिहाज से संसाधनों का अभाव है. ऐसे में इस इस घातक बीमारी से कैसे बचना है और इसके क्या लक्षण हैं इसके बारे में हमको जानना बहुत जरूरी है.
क्या होता है ब्रेन ट्यूमर
ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग में मौजूद कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं. जो बहुत खतरनाक स्थिति पैदा कर देती हैं. इसमें धीरे-धीरे मस्तिष्क में टिश्यूज़ की एक गांठ बन जाती है जिसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता हैं. बीमारी का पता चलने के बाद मरीज इसे लेकर बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने लगता है जो मरीज के लिए और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. ट्रीटमेंट के साथ इसमें पॉजिटिव रहने की बहुत ज्यादा जरूरत होती है.
हर दिन मिल रहे तीन हजार से ज्यादा ब्रेन ट्यूमर के मरीज
लोहिया संस्थान केन्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक ब्रेन ट्यूमर के दुनियाभर में हर दिन 3000 ज्यादा मरीज डायग्नोस किए जाते हैं. इसमें यदि दिमाग में फैलने वाले अन्य तरह के कैंसर जोड़ लें तो मरीजों की संख्या 8 से 10 हजार हो जाती है. वहीं भारत में एक लाख लोगों में 5-10 मरीज ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं. बच्चों में होने वाले सभी ट्यूमर एक चौथाई (26 फीसद) ब्रेन ट्यूमर होते हैं.
देश में हर साल बनते हैं 200 न्यूरो सर्जन
डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक देश में करीब दो हजार न्यूरो सर्जन हैं. वहीं आबादी व बढ़ती बीमारी के लिहाज से आवश्यकता 15 से 20 हजार न्यूरोसर्जन की है. देश के 60 मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी की पढ़ाई होती है. यहां से हर वर्ष 200 डॉक्टर न्यूरो सर्जरी की ट्रेनिंग लेकर निकलते हैं. इसमें से कई विदेश चले जाते हैं. ऐसे में नए ट्रेनिंग सेंटर व एमसीएच न्यूरो सर्जरी की सीटें बढ़ानी होंगी. स्थिति यह है मरीज का समय गत ऑपरेशन के लिए न्यूरोसर्जन का संकट है. वहीं ब्रेन ट्यूमर पर सटीक वार करने वाली रेडियोथेरेपी की 'गामा नाइफ' की तादाद भी बेहद कम हैं. हालांकि यूपी सरकार ने इस दिशा में सुधार के लिए कदम बढ़ा दिए हैं. अब अन्य राज्यों को भी ठोस प्रयास करने होंगे.
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यूपी में लखनऊ में सबसे ज्यादा न्यूरो सर्जन
डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक यूपी में करीब 200 न्यूरो सर्जन हैं. इसमें लखनऊ में 35 न्यूरो सर्जन हैं. यहां राज्य के एक तिहाई न्यूरो सर्जरी के मरीजों का इलाज होता है. मरीजों को बढ़ती संख्या को देखते हुए 1500-2000 न्यूरो सर्जन की आवश्यता है. यहां एसजीपीजीआई में 8, केजीएमयू में 4, आरएमएलआईएमएस में दो, बीएचयू में एक एमसीएच न्यूरो सर्जरी की सीट है.
देश में सात गामा नाइफ मशीन, यूपी में मंजूरी
डॉ. दीपक सिंह के मुताबिक 3 सेमी से छोटे ब्रेन ट्यूमर का इलाज बिना सर्जरी के मुमकिन है. इसका गामा नाइफ मशीन से खात्मा किया जा सकता है. अभी देश के सात सेंटरों में गामा नाइफ लगी है. यूपी में पहली मशीन लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में लगेगी. यहां सरकार ने न्यूरो साइंस सेंटर की भी मंजूरी दी है.
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