Birth Anniversary Of Louis Braille: दुनिया खूबसूरत है. इसके अलग-अलग रंगों को हम अपनी आंखों के माध्यम से देखते हैं. समाचार माध्यमों से पढ़ते हैं. लेकिन हममें से कई लोग ऐसे हैं जिनके पास आंखें नहीं हैं, ऐसे लोग न तो दुनिया को देख पाते हैं न ही पढ़ पाते हैं. फ्रांस में जन्मे एक व्यक्ति लुई ब्रेल ने दुनिया भर के नेत्रहीन लोगों के लिए लिपि का विकास किया, जिसे ब्रेल लिपि कहा जाता है. पढ़ें पूरी खबर..
हैदराबाद :दुनिया भर में बड़े पैमाने पर दृष्टिहीन लोगों की आबादी है. कई लोग जन्मजात अंधेपन का शिकार होते हैं तो कई लोग हादसे के बाद नेत्रहीन हो जाते हैं. इसके अलावा मोतियाबिंद, मधुमेह व अन्य कारणों से कई लोगों की आंखों की रोशनी चली जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से 10 अगस्त 2023 को जारी डेटा के अनुसार 2.2 अरब लोगों में निकट या दूर दृष्टि दोष की समस्या है. 1 बिलियन लोगों का उचित इलाज कर स्थायी तौर पर उन्हें अंधेपन का शिकार होने से रोका जा सकता है.
ब्रेल लिपि दुनिया भर के नेत्रहीन लोगों के लिए वरदान है. इस लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल के जन्म दिवस 4 जनवरी 1809 हुआ था. संयुक्त राष्ट्र की पहल पर लुई ब्रेल के योगदान को चिह्नित करने के उद्देश्य से साल 2019 से 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. नेत्रहीन व आंशिक रूप से दृष्टिहीन लोगों के मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस दिवस का आयोजन किया जाता है. ब्रेल शिक्षा, अभिव्यक्ति और राय की स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक समावेशन के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण है. बता दें कि दिव्यांगों के अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुच्छेद 2 में इस सामाजिक समावेशन को भी दर्शाया गया है.
बता दें दिव्यांगता किसी भी प्रकार क्यों न हो, यह संबंधित व्यक्ति के लिए एक साथ कई प्रकार की चुनौतियों को लेकर आता है. स्वास्थ्य देखभाल, रोजगार, शिक्षा की समस्या के कारण उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होता है. इसके अलावा कई बार समाज में उन्हें उपेक्षा, दुर्व्यवहार ही नहीं हिंसा तक सामना करना पड़ता है.
क्या है ब्रेल लिपि
दृष्टिहीन लोगों की शिक्षा-संवाद के लिए विकसित लिपि को ब्रेल लिपि कहा जाता है. इसका नामकरण फ्रांस निवासी ब्रेल लिपि के खोजकर्ता लुई ब्रेल ने नाम पर किया गया है. यह लिपि सभी वर्णमाला, संख्यात्मक चिह्नों का स्पर्शपूर्ण प्रतिनिधित्व (Tactile Representation) करता है, जिसमें सभी अक्षर, संख्या, संगीत, वैज्ञानिक और गणितीय प्रतीकों को दर्शाया गया है. इन सभी को दर्शाने के लिए छह बिंदुओं का उपयोग किया जाता है या कह सकते हैं तो सिक्स डॉट ब्रेल लिपि के फॉन्ट हैं. ब्रेल लिपि का उपयोग नेत्रहीन और आंशिक दृष्टि बाधित लोग पुस्तक, पत्रिकाएं पढ़ने के लिए करते हैं.
लुई ब्रेल से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां
4 जनवरी, 1809 लुई ब्रेल का जन्म फ्रांस के कूपव्रे नामक स्थान पर हुआ था.
नेत्रहीनों के लिए लिपि के खोजकर्ता के रूप में पूरी दुनिया में उनकी अलग पहचान है.
लुई ब्रेल के पिता जानवरों के चमड़े से बनने वाले पट्टा/ बेल्ट की दुकान चलाते थे.
पिता की दुकान में खेल-खेल में तेज हथियार से उनकी आंखों की रोशनी चली गई.
छोटी सी उम्र में आंखों की रोशनी जाने के बाद भी लुई ब्रेल विचलित नहीं हुए.
उन्होंने आंखों की रोशनी को समस्या मानने के बजाय समाधान खोजने पर काम किया.
उन्होंने आंखों की रोशनी को समस्या मानने के बजाय समाधान खोजने पर काम किया.
अंततः उन्होंने ब्रेल लिपि की खोजकर पूरी दुनिया के नेत्रहीनों के जीवन में रोशनी देने का काम किया.
नेत्रहीन होने के बावजूद पढ़ाई में बेहतर होने के कारण उन्हें फ्रांस के रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ से छात्रवृत्ति के लिए चुना गया.
इसी बीच अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने फ्रांसीसी सेना के द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली चार्ल्स बार्बियर की सैन्य क्रिप्टोग्राफी का विस्तार से अध्ययन किया.
सैन्य क्रिप्टोग्राफी की मदद से लुई ब्रेल ने नेत्रहीनों के लिए ब्रेल लिपि खोज निकाला, जो स्पर्श कोड पर आधारित है.
महज 15 साल की उम्र में 1924 में ब्रेल ने ब्रेल लिपि दुनिया के सामने प्रस्तुत किया.
उन्होंने ब्रेल लिपि के बारे अपने काम को 1829 में पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया. पुस्तक का नाम “Method of Writing Words, Music, and Plain Songs by Means of Dots, for Use by the Blind and Arranged for Them” है.
ब्रेल लिपि 6 बिंदुओं (Dots) पर आधारित है, वर्णमाला के अक्षरों और संख्याओं का प्रतिनिधित्व करता है.
ब्रेल की अपनी कोई भाषा नहीं है बल्कि यह कोड है, जिसका कई भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है.
एक तरह से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग है. अलग-अलग भाषाओं में 6 डॉट्स का इस्तेमाल कर अपनी भाषा-भाषी के लोगों के लिए करते हैं.
6 जनवरी, 1852 को 43 वर्ष की आयु में लुई ब्रेल की मृत्यु हो गई.