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WHO के छह सदस्यों राज्यों में 2021 तक 45,000 बच्चों ने विकारों के साथ लिया जन्म

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Published : Mar 2, 2022, 10:38 PM IST

WHO की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने WHO और इसके सदस्य राज्य दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में और वैश्विक स्तर पर सभी जन्मजात विकारों के बारे में जागरूकता (awareness of congenital disorders) फैलाने और गुणवत्तापूर्ण देखभाल व उपचार तक पहुंच बढ़ाने का आह्वान किया है. जन्मजात विकार दक्षिण-पूर्व एशिया में बाल मृत्यु दर का तीसरा और नवजातों की मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण हैं जो , 12 फीसदी नवजातों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन
विश्व स्वास्थ्य संगठन

नई दिल्ली :विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) ने बुधवार को कहा कि 2021 के अंत तक भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार और नेपाल में 45,000 बच्चे विकारों के साथ पैदा हुए (45,000 babies born with defects by 2021) हैं. दक्षिण पूर्व एशिया के लिए WHO की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने यह जानकारी दी.

विश्व जन्म दोष दिवस (World birth defects day) पर उन्होंने बताया कि छह सदस्य देशों-बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, म्यांमार और नेपाल-ने डब्ल्यूएचओ समर्थित ऑनलाइन निगरानी डाटाबेस को उच्च गुणवत्ता वाला डाटा मुहैया कराना जारी रखा है, जिसने 2021 के अंत तक 40 लाख से अधिक बच्चों का जन्म दर्ज किया था, जिनमें से 45,000 बच्चे जन्मजात विकारों के साथ पैदा हुए थे.

डॉ सिंह ने बताया कि 2019 में जन्म दोषों के कारण वैश्विक स्तर पर 530000 से अधिक मौतें हुईं, जिसमें इस क्षेत्र में 127000 से अधिक मौतें शामिल हैं, जो वैश्विक स्तर पर हुई कुल मौतों का लगभग 22 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि WHO और इसके सदस्य राज्य दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में और वैश्विक स्तर पर सभी जन्मजात विकारों के बारे में जागरूकता (awareness of congenital disorders) फैलाने और गुणवत्तापूर्ण देखभाल व उपचार तक पहुंच बढ़ाने का आह्वान किया है. जन्मजात विकार दक्षिण-पूर्व एशिया में बाल मृत्यु दर का तीसरा और नवजातों की मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण हैं जो , 12 फीसदी नवजातों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं.

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डॉ सिंह ने कहा कि मृत्यु के अलावा, जन्म दोष दीर्घकालिक रुग्णता और दिव्यांगता का कारण बन सकते हैं, जिससे निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य प्रणाली सहित सामाजिक और पारिवारिक संसाधन बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि 2023 तक खसरा और रूबेला को समाप्त करने के प्रयासों के तहत, एक और प्राथमिकता के रूप में क्षेत्र के सभी देशों ने लड़कियों के रूबेला टीकाकरण की शुरुआत की है, जिसके दायरे में औसतन 83 प्रतिशत लड़कियां आई हैं.

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