हैदराबाद : एक समय था कि मोटापा और अत्यधिक वजन की समस्या को संभ्रांतों या पश्चिमी देशों की समस्या माना जाता था. अब या धारणा पूरी तरह से गलत साबित हुआ है. भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर मोटापा की समस्या गंभीर बन चुकी है. इस कारण बड़ी आबादी मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक जैसे बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं. साथ ही इन रोगों के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जा रही है. अधिक वजन और मोटापा की समस्या के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 26 नवंबर को विश्व मोटापा विरोधी दिवस मनाया जाता है. इसे विश्व मोटापा निरोधक दिवस भी कहा जाता है.
वैश्विक स्तर पर मोटापा
- नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पर राजीव अहिरवार और प्रकाश रंजन मंडल की पर छपी शोध के अनुसार पूरी दुनिया में 1.9 अरब से अधिक व्यस्कों का वजन सामान्य से ज्यादा है.
- दुनिया में 65 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापा से ग्रसित हैं. वहीं भारत में 13.5 करोड़ से अधिक लोग मोटापे के ग्रसित हैं.
- मोटापा व अधिक वजन के कारण सालान दुनिया भर में 28 लाख से ज्यादा लोग जान गवां देते हैं.
- डॉक्टरों के अनुसार फैटी भोजन, नियमित रूप से फिजिकल गतिविधियां की कमी, स्वास्थ के प्रति जागरूकता का आभाव मोटापा व शरीर का अधिक वजनदार होने के कारण माना गया है.
- कई अध्ययनों में पाया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मोटापे का प्रसार काफी अधिक है.
- सरकार ही नहीं आम लोगों पर मोटापे के कारण चिकित्सा व वित्तीय बोझ बढ़ जाता है.
- हेल्थ सेक्टर के जानकारों के अनुसार मोटापे और इसके परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाकर इस समस्या के प्रसार को रोका जा सकता है.
- सरकारों को मोटापा से बचाव के लिए स्वस्थ जीवन शैली के फायदे, बेहतर आहारी आदतों आदि के बारे में लोगों को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए.