हैदराबाद :दुनिया ने 1990 के दशक के बाद से महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन एचआईवी अभी भी प्रमुख वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है. COVID-19 महामारी के दौरान ये ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. एचआईवी की रोकथाम, परीक्षण, उपचार और देखभाल सेवाएं सभी विशेष रूप से कम स्वास्थ्य सुविधा वाले देशों में बाधित हो रही हैं. ऐसे में कोविड-19 के कारण आवश्यक एचआईवी सेवाओं के टूटने का खतरा है, जिससे एचआईवी संक्रमण और एड्स से संबंधित मौतें बढ़ने का जोखिम है.
विश्व एड्स दिवस क्या है?
हर साल एक दिसंबर को विश्वभर के लोग इस बीमारी के साथ जी रहे लोगों का हौसला बढ़ाने और इसका शिकार होकर जान गंवाने वालों की याद में विश्व एड्स दिवस मनाते हैं, इसकी शुरुआत 1998 में की गई. तब से हर साल विश्वभर की स्वास्थ्य एजेंसियां, संयुक्त राष्ट्र, सरकारें और सिविल सोसाइटी मिलकर इस बीमारी से जागरूक करने के लिए कैंपेन चलाते हैं. प्रत्येक विश्व एड्स दिवस विशिष्ट विषय पर आधारित होता है. इस साल की थीम- 'वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी' है. यह थीम विश्व स्तर पर लोगों को एड्स के प्रति सतर्क करती है.
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ
एचआईवी एक प्रमुख वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है, 2019 के अंत तक लगभग 3.8 करोड़ लोग एचआईवी के साथ जी रहे थे-डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन)
एचआईवी क्या है?
एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस) एक वायरस है जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करने वाली कोशिकाओं पर हमला करता है. ये किसी व्यक्ति को अन्य संक्रमणों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है. यह एचआईवी के साथ एक व्यक्ति के कुछ शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है, असुरक्षित यौन संबंध के दौरान ये सबसे अधिक होता है.
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एड्स क्या है?
एड्स एचआईवी संक्रमण की आखिरी अवस्था है जो तब होता है जब वायरस के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती है. यदि उसका इलाज छोड़ दिया जाता है, तो एचआईवी रोग एड्स (अक्वायर्ड इम्यूनोडिफीसिअन्सी सिंड्रोम) को जन्म दे सकता है.
एचआईवी और एड्स में क्या अंतर है?
अक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) ऐसा शब्द है जो एचआईवी संक्रमण के सबसे उन्नत चरणों में लागू होता है. यह 20 से ज्यादा कैंसर की तरह है, क्योंकि यह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का लाभ उठाते हैं. एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) उपलब्ध होने से पहले एड्स एचआईवी महामारी की तरह ही था. अब, अधिक से अधिक लोग एआरटी का उपयोग करते हैं. ऐसे में एचआईवी पीड़ित अधिकतर लोग एड्स की स्टेज पर पहुंचने से बच जाते हैं. हालांकि, एचआईवी की उन लोगों में होने की संभावना अधिक होती है जिनका परीक्षण नहीं किया जाता है या ऐसे लोगों में जिन्हें संक्रमण देर से पता चलता है.
भारत में एचआईवी की स्थिति
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन, आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल स्टैटिस्टिक्स के साथ मिलकर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय एचआईवी रोगियों का आंकड़ा देता है.
एचआईवी अनुमान रिपोर्ट 2019 के अनुसार करीब 23.49 लाख लोग एचआईवी संक्रमित हैं.
राहत की बात है कि 2010 से 2019 के बीच एचआईवी संक्रमितों की संख्या में 37% की कमी हुई है.