नई दिल्ली : सरकार ई-अदालतों को भूमि अभिलेखों और पंजीकरण डेटाबेस से जोड़ने की योजना बना रही है जिससे वास्तविक खरीददारों को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि जिस जमीन को खरीदने की वह योजना बना रहे हैं उस पर कोई कानूनी विवाद तो नहीं है.
सरकार को लगता है कि इससे संदिग्ध लेनदेन कम होगा, विवादों को रोकने में मदद मिलेगी और अदालती प्रणाली का बाधित होना भी कम होगा. उत्तर प्रदेश और हरियाणा के साथ ही महाराष्ट्र में ई-अदालतों को भूमि के अभिलेखों और पंजीकरण से जोड़ने की शुरुआती (पायलट) परियोजना पूरी हो गई है तथा जल्द ही इसे देशभर में शुरू किया जाएगा.
विधि मंत्रालय के न्याय विभाग ने सभी उच्च न्यायालयों के महापंजीयकों से भूमि अभिलेखों और पंजीकरण डेटाबेस को ई-अदालतों तथा राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) से जोड़ने की राज्य सरकारों को मंजूरी देने का अनुरोध किया है ताकि संपत्ति विवादों का जल्द निस्तारण हो सके. अभी तक आठ उच्च न्यायालयों ने जवाब दे दिए हैं. इनमें त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं.