लखनऊ : मोहब्बत की निशानी ताजमहल की खूबसूरती में चारों कोनों पर स्थित मीनारें चार चांद लगाती हैं. मगर, ताज की दक्षिण-पश्चिमी मीनार के तमाम पत्थर निकल गए हैं. कई पत्थरों की चमक भी कम हो गई है. ऐसे खराब पत्थरों को बदलने और निकले पत्थरों को लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग की ओर से संरक्षण का कार्य शुरू किया गया है. संरक्षण के कार्य के चलते दक्षिण-पश्चिमी मीनार पर पाड़ बांधी गई है. इस संरक्षण कार्य में 23 लाख रुपये का खर्चा आएगा. 120 दिन में यह कार्य पूरा होगा.
ताजमहल के चारों कोनों पर मीनारें तामीर की गई हैं. प्रत्येक मीनार की ऊंचाई जमीन से कलश तक 140.91 फीट है. ताजमहल में लगा संगमरमर इन मीनारों में भी उपयोग किया गया है. यही वजह है कि यह मीनारें ताजमहल की खूबसूरती को और बढ़ाती हैं. एएसआई ने पहले में मडपैक थेरेपी के बाद इन मीनारों से निकले और खराब पत्थरों को फिर से लगाने के लिए पाड़ बांधी है. तीन मीनारों का पहले किया गया संरक्षण कार्य
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि ताजमहल के दक्षिण-पश्चिमी मीनार का संरक्षण कार्य किया जा रहा है. इसके लिए मीनार पर पाड़ बांधी गई है. दीदार में अंदर की तरफ रेड स्टोन की नीचे से ऊपर तक जाने को सीढ़ियां हैं. इनमें से 15 सीढ़ियों के पास बारिश का पानी मीनार में अंदर आने की वजह से पत्थर खराब हो गए हैं. इन खराब पत्थरों को बदलना है. मीनार में अंधेरा रहता है, इसलिए पाड़ बांधकर मीनार के अंदर की प्रकाश की व्यवस्था करके जायजा लिया जाएगा. खराब पत्थर बदले जाएंगे. मीनार के बाहर की तरफ बॉर्डर व पच्चीकारी से निकले पत्थरों को भी बदला जाएगा.