जोधपुर : अपना हाथ जगन्नाथ वाली कहावत आत्मनिर्भरता को इंगित करती है. लेकिन आत्मनिर्भर होने के लिए हाथों की नहीं, बल्कि जज्बे और जुनून की जरूरत होती है. ये कहानी है जोधपुर के एक ऐसे पैरा स्विमर पिंटू गहलोत की, जिसकी जिंदगी को दो हादसों ने थामने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने हर बार खुद से यही कहा कि पिंटू फिर भी तैरेगा... और जीत की जिद में पिंटू पूल में पसीना बहा रहे हैं.
तमाम बाधाओं के बावजूद पिंटू गहलोत पैरा स्विमिंग चैम्पियन बनने की जद्दोजहद में लगे हैं. इस बार अगर उन्हें सफलता मिली, तो राज्य सरकार से नौकरी मिल जाएगी. जोधपुर के तैराक पिंटू गहलोत इन दिनों आधे हाथ से तैराकी कर रहे हैं और पूल में पसीना बहा रहे हैं.
पिंटू के साथ पहला हादसा
36 वर्षीय पिंटू के साथ पहला हादसा 1998 में हुआ. वे एक बस में सवार थे. बस की ट्रक से भिड़ंत हो गई और इस हादसे में पिंटू का एक हाथ कंधे से कट गया. लोग कहने लगे कि पिंटू अब कुछ नहीं कर सकता. लेकिन पिंटू ने तय किया कि वह बेचारगी का तमगा लेकर नहीं जिएगा.
पिंटू ने तैराकी को अपना शौक बनाया. पूल में जब वे एक हाथ से तैरते, तो अच्छे-अच्छे तैराक आवाक रह जाते. जल्द ही तैराकी में वे पारंगत हो गए. शौकिया तैराकी से वे तैराकी के खेल में उतर गए. पूल को उन्होंने कई बार कई प्रतियोगिताओं में एक हाथ से तैरकर पार किया और मेडल पर मेडल जीतने लगे. बतौर पैरा स्विमर पिंटू ने कई प्रतियोगिताएं जीतीं.
2016 में नेशनल चैंपियनशिप भी पिंटू की झोली में आ गई. इसके साथ-साथ पिंटू ने बच्चों को स्विमिंग की कोचिंग देना भी शुरू कर दिया. सब कुछ ठीक चल रहा था. एक हाथ और पूरे हौसले से जी रहे पिंटू के साथ फिर 2019 में दूसरा हादसा हो गया.
पिंटू के साथ दूसरा हादसा