दंतेवाड़ा :छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार लगातार नक्सल प्रभावित इलाकों की पहचान बदलने का प्रयास कर रही है. इनमें से कई प्रयास सफल भी हुए हैं. नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कों के निर्माण के साथ ही नए-नए रोजगार के अवसर पैदा करने में भी सरकार जोर दे रही है. प्रशासन भी लगातार इन इलाकों में ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने के लिए पहल कर रहा है. अब नक्सलगढ़ से पहचाने जाने वाले दंतेवाड़ा में महिलाएं सफेद आमचूर (white amchur) बना रही हैं. महिलाओं को इससे रोजगार मिल रहा है. कोरोना काल में मिले रोजगार से महिलाएं काफी खुश हैं.
सफेद आमचूर से बदलेगी नक्सलगढ़ की पहचान प्रशासन ने की मदद
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी ने जिले के स्व-सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार मुहैया कराया है. महिलाओं को सफेद आमचूर बनाने के लिए मशीन भी उपलब्ध कराई गई है. अब महिलाएं कच्चे आम काटने के बाद उसकी सफाई कर उसकी छिलाई करती हैं. आम को छोटे टुकड़ों में काटकर सुखाया जाता है. जिसके बाद सफेद अमचूर पाउडर में इसे परिवर्तित किया जाता है.
महिलाएं बना रहीं सफेद आमचूर कैसे बनाया जा रहा सफेद अमचूर(White Amchoor)?
महिलाएं बना रहीं सफेद आमचूर - जंगल से आम को पेड़ों से तोड़कर उन्हें दो- तीन बार अच्छे से धोया जाता है.
- आम का छिलका निकालकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर धूप में सुखाया जाता है.
- सूखने के पश्चात् आम के टुकडे़ सफेद अमचूर/आमचूर पाउडर में तब्दील होने के लिए तैयार हो जाते हैं.
डैनेक्स ब्रांड कर रहा वैल्यू एडिशन - मशीन के जरिए पीसकर अमचूर/आमचूर तैयार कर लिया जाता है.
डैनेक्स ब्रांड के नाम से बिकेगा सफेद अमचूर
प्रयास स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि पहले भी समूह सफेद अमचूर तैयार किया जाता था. लेकिन उसे मार्केट में कच्चे माल के रूप में बेचा जाता था. लेकिन इस बार आम को सूखाकर कच्चा माल के तैयार करने के बाद उसे महिलाएं नही बेचेंगी. बल्कि उसे पाउडर के रूप में प्रोसेसिंग कर बाजार में बेचा जाएगा. इससे ना सिर्फ सफेद आमचूर की वैल्यू बढ़गी, बल्कि महिलाओं को अधिक फायदा होगा.
महिलाएं बना रहीं सफेद आमचूर महिलाओं ने बताया कि जिला प्रशासन ने उन्हें ट्रेनिग भी दिलाई है. महिलाएं पहले पारम्परिक तरीके से लोहे के औजार और छुरी से आम के छिलके उतरती थी. लोहे के प्रभाव में आकर आम काला पड़ जाता था. जिससे उसकी कीमत कम मिलती थी. अमचूर का रंग काला ना पड़े इसलिए स्टील के चाकू या सीप के खोल का उपयोग कर रहे हैं. महिलाएं कच्चे माल को 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से डैनेक्स को विक्रय कर रही हैं.
डैनेक्स कर रहा सफेद अमचूर का वैल्यू एडिशन
डैनेक्स सफेद अमचूर के प्रोसेसिंग और पैकेजिंग करके अमचूर का वैल्यू एडिशन कर रहा है. जिससे महिलाओं को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल रहा है. यह सफेद अमचूर डैनेक्स के नाम से बाजार में बिकेगा. जिले में उत्पादित सफेद अमचूर को डैनेक्स यानी दंतेवाड़ा नेक्सट के ब्रांड के साथ बाजार में उतारा जाएगा. डैनेक्स दंतेवाड़ा का अपना ब्रांड है. इस ब्रांड के अन्य उत्पाद हैं. जिसमें नवा दंतेवाड़ा गारमेंट्स फैक्ट्री में तैयार कपड़े, छिंद रस से निर्मित गुड़ पैकेट, जैविक अनाज, कड़कनाथ मुर्गी और आरओ वाटर को पहचान मिल चुकी है.
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अब डैनेक्स ब्रांड के सफेद अमचूर/आमचूर को बेचने के लिए शासन-प्रशासन ने स्व सहायता समूह की महिलाओं को दुकान भी आवंटन कराई है. जिससे वह अपने प्रोडक्ट को मार्केट में उतार सकेंगे. जिससे आने वाले समय में प्रत्येक महिलाओं को 5 से 6 हजार तक की इनकम भी होगी.