पिथौरागढ़ (उत्तराखंड):आज भी देश के कई हिस्सों में पूजा पद्धति और मान्यताओं को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश से लेकर पूजा पाठ की परंपराओं में महिलाओं को दूर रखा जाता है. ऐसी ही कुछ परंपराएं लंबे समय से उत्तराखंड में कई मंदिरों में चलती आ रही हैं. इन मंदिरों में या तो महिलाओं का प्रवेश ही वर्जित था या फिर मंदिर में पुजारी बनने का अधिकार सिर्फ पुरुषों को ही था. गढ़वाल और कुमाऊं में कई ऐसी परंपराओं और रूढ़िवादी परंपराओं को महिलाएं तोड़कर अब आगे बढ़ रही हैं. ऐसा ही कुछ हुआ उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में. यहां मंदिर कमेटी ने बड़ा फैसला लेते हुए दो महिलाओं को मंदिर का मुख्य पुजारी बनाया है.
पेश की गई मिसाल: उत्तराखंड के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है. यहां के मंदिरों की मान्यता और पूजा पाठ की विधि भी बेहद प्रचलित है. मौजूदा समय में पिथौरागढ़ के योगेश्वर श्री कृष्ण मंदिर की चर्चा जोरों पर है. अब तक आपने देश भर के तमाम मंदिरों में देखा होगा कि वहां मुख्य पुजारी की भूमिका हमेशा से पुरुष निभाते आए हैं. लेकिन पिथौरागढ़ के योगेश्वर श्री कृष्ण मंदिर में महिला पुजारी बनाने को लेकर लंबे समय से आवाज उठ रही थी और महिलाएं भी मंदिर कमेटी से बार-बार यह आग्रह कर रही थीं. इसको लेकर मंथन चिंतन और धर्माचार्यों से बातचीत हुई. इसके बाद कमेटी ने जो फैसला लिया, वो देशभर के मंदिरों और महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गया.
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मंदिर कमेटी का बड़ा फैसला: मंदिर कमेटी ने फैसला लेते हुए दो महिला पुजारियों को मंदिर में नियुक्त किया है. खास बात यह है कि अब इस मंदिर में मुख्य पुजारी और सहायक पुजारी भी केवल महिला ही होंगी. पिथौरागढ़ की ही रहने वाली मंजुला अवस्थीको मुख्य पुजारी बनाया गया है, जबकि सुमन बिष्ट को सहायक पुजारी का दायित्व सौंपा गया है.
देश का पहला मंदिर: उत्तराखंड में ऐसा पहली बार है, जब किसी मंदिर की मुख्य पुजारी महिला को बनाया गया है. मंदिर कमेटी के अध्यक्ष आचार्य पीतांबर बताते हैं कि उत्तराखंड में कई मंदिरों में आज भी महिलाओं को लेकर रूढ़िवादी परंपराएं प्रचलित हैं और हम यह चाहते हैं कि इन परंपराओं को खत्म करके महिलाओं को आगे किया जाए.
इस वजह से लिया है फैसला: पीतांबर अवस्थी की मानें तो कमेटी ने जो फैसला लिया है, वह महिला सशक्तिकरण के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा. महिलाएं अपने परिवार और समाज के लिए जितना कार्य और त्याग करती हैं, उतना शायद ही पुरुष करता हो. महिलाएं घर में पूजा-पाठ से लेकर व्रत आदि जितना करती हैं, शायद ही घर का कोई पुरुष करता हो. इसीलिए पूरी मंदिर कमेटी ने यह फैसला लिया कि योगेश्वर श्री कृष्ण मंदिर की जिम्मेदारी महिलाओं को दी जाए. इस फैसले के बाद महिलाएं बेहद खुश हैं और हमें उम्मीद है कि पिथौरागढ़ के इस प्राचीन मंदिर में पूजा पाठ और रख रखाव महिलाएं बेहतर तरीके से कर पाएंगी.
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