चमोली (उत्तराखंड):महिलाएं आज पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है. बात सीमा पर देश के लिए मर मिटने की हो या फिर फाइटर प्लेन चलाने की या फिर मिशन मंगल की, महिलाओं ने जब भी तबीयत से पत्थर उछाला है तो आसमान में सुराख हुआ है. ऐसी ही एक मिसाल उत्तराखंड की सबसे ऊंची और देश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पर देखने को मिली है.
नंदादेवी के जंगलों में पहली बार महिला पहरेदार
देश की दूसरी सर्वाधिक ऊंची चोटी नंदादेवी में वन और दुर्लभ वन्य जीवों की निगहबानी के लिए पहली बार दो महिला वन दरोगा और एक महिला वन आरक्षी (forest guard) शामिल हुई हैं. अभी तक जोशीमठ क्षेत्र स्थित उच्च हिमालयी क्षेत्र में नंदादेवी बायोस्फियर रिजर्व में पुरुष वन दरोगा व वन आरक्षी की ही तैनाती थी.
विकट भौगोलिक परिस्थिति होने के कारण अभी तक नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में वन और वन्य जीवों की सुरक्षा में पुरुष वन दरोगा और वन आरक्षी मुस्तैद रहते थे, लेकिन नंदादेवी वायोस्फियर के प्रभारी निदेशक अमित कंवर की पहल पर इस वर्ष से यह जिम्मा महिला वन दरोगा व वन आरक्षियों को भी सौंपा गया है. नंदादेवी बायोस्फियर रिजर्व के निदेशक/वन संरक्षक अमित कंवर ने बताया कि जून माह के पहले सप्ताह में नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की 3 टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में दुर्लभ वन्य जीव, जड़ी-बूटियों की तस्करी, शिकार, अवैध पेड़ों के कटान व अतिक्रमण का निरीक्षण करने के लिए लंबी दूरी की गश्त पर गई थीं.
प्रभारी निदेशक अमित कंवर के निर्देशों के बाद रेंज अधिकारी नंदादेवी वायोस्फेयर चेतना कांडपाल के निर्देशन में महिला वन दरोगा व वन आरक्षी को लंबी दूरी की गश्त के लिए तैयार किया गया. वन विभाग की टीम के साथ महिला वन अधिकारियों ने लगभग 60 किलोमीटर की पैदल दूरी तय की. दरसअल, बीते एक जून को वन विभाग का एक दल लाता खर्क, भेंटा, धरसी और सैनी खर्क गया था. टीम में मौजूद 12 सदस्यों में पहली बार तीन महिलाएं भी शामिल हुईं, जिनमें वन दरोगा ममता कनवासी, दुर्गा सती और वन आरक्षी रोशनी शामिल थीं.