हरकी पैड़ी पर बांस के दीपकों में प्रज्वलित की गईं 3 करोड़ 75 लाख बत्तियां. हरिद्वार: विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी तीर्थ स्थल पर नेपाल की लोक संस्कृति की एक अनोखी झलक देखने को मिली. नेपाल से बड़ी संख्या में हरिद्वार पहुंचे श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर एक साथ 3 करोड़ 75 लाख बत्तियों को बांस से बने दीपक में प्रज्वलित किया. रुई से बनी बत्तियों को महिला श्रद्धालुओं ने अपने हाथों से तैयार किया था. 300 महिला श्रद्वालुओं ने गंगा घाट पर दीपकों में इन बत्तियों को जलाया. गुरुवार देर रात ये कार्यक्रम हुआ.
दरअसल, नेपाल की लोक संस्कृति में महिलाएं अपने हाथों से रूई की बाती बनाती हैं और पवित्र तीर्थ स्थलों पर ले जाकर जलाती हैं. नेपाल में ये मान्यता है कि इस पूजा को करने से महिला के परिवार का वैभव बढ़ता है और उनका पति दीर्घायु होता है. इसी क्रम में नेपाल से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर गंगा आरती के बाद यह आयोजन किया.
इस आयोजन से पहले नेपाल से आए भक्तों ने भजन और कीर्तन किया. विश्व विख्यात कथा वाचक विजय कौशल महाराज के शिष्य सुप्रसिद्व कथा वाचक पवन नंदन शास्त्री व कथा वाचक विष्णु प्रसाद के सानिध्य में गुरुवार शाम गंगा आरती की गई, जिसके बाद ये कार्यक्रम किया गया.
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कथा वाचक पवन नंदन शास्त्री ने बताया कि रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म रुकने) के दौरान होने वाले दोष निवारण के लिए महिलाओं ने गंगा तट पर सवा लाख तेल की बत्तियां जलाई हैं. उन्होंने बताया कि वामन पुराण के रेवा खंड में इसका वर्णन किया गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा घाट पर अपने हाथ से बनाई हुई सवा लाख बत्तियां जलाने से रजोनिवृति दोष का निवारण होता है. इसी मान्यता के अनुसार, नेपाल में बड़ी संख्या में महिलाएं अपने हाथ से रुई की बत्तियां बनाकर हरिद्वार पहुंचीं और सामूहिक रूप से हरकी पैड़ी पर इन्हें प्रज्वलित किया. प्रत्येक महिला ने सवा लाख बत्तियां प्रज्वलित कीं.
पवन नंदन शास्त्री ने बताया कि इससे पूर्व 2012 में भी नेपाल की 200 महिलाओं द्वारा यहां बत्तियां लाकर दीपक प्रज्वलित किए गये थे. पर्यावरण व स्वच्छता का ध्यान रखते हुए इस बार बांस से बने दीपक में बत्तियां जलाई गई हैं, जो बत्तियों के साथ ही जल जाएंगे.