भोपाल।नारी अगर अपने मन में ठान ले तो वो जिंदगी में सब कुछ कर सकती है, ऐसा ही कुछ साबित कर दिखाया है मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के एक छोटे से गांव जगरौथा में रहने वाली बबीता राजपूत ने. बबीता ने बेहद कम उम्र में करीब 200 महिलाओं की अगुआई कर एक पहाड़ी को काट सूखी झील को नदी से जोड़ने का अद्भुत काम किया था. उनकी सोच ने पूरे गांव में एक ऐसा बड़ा बदलाव किया जिससे गांव की एक बड़ी समस्या दूर हो गई. बबीता के इस अच्छे काम की देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ की थी. आइए इस महिला दिवस आपको उस लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने 'कौन सा पहाड़ खोद लिया' वाले मुहावरे को सच कर दिखाया है.
बबीता पढ़ा रहीं पानी के राशन का पाठ:बबीता ने जिस पानी के लिए मां को जूझते झगड़ते देखा, जिस पानी के लिए कई बार उनका स्कूल छूटा, उस पानी की कहानी उन्हें बदलनी थी, लेकिन उसने समाज, सिस्टम किसी से सवाल नहीं किया. बस हाथों में कुदाली लेते हुए बीड़ा उठाया और बताया कि, मटके और बाल्टी में सहेजे जा रहे पानी से सूरत ए हाल नहीं बदल पाएगा. सूखी नदी की सांसे लौटा रही बबीता ने कभी तालाब में पानी पहुंचाने के लिए उसे खोद डाला था. अब 22 साल की बबीता बुंदेलखंड को पानी के राशन का पाठ पढ़ा रहीं हैं.
गोल गोल रानी नदी में आएगा पानी:बबीता का पता इन दिनों उसके गांव जगरौथा की बछेड़ी नदी है, जहां वो गांव की दूसरी महिलाओं के साथ दिन रात इस काम में जुटी हैं कि सूख गई नदी की सांसे और पानी फिर से लौटाया जाए. तपती धूप में काम करती बबीता और उसकी सहेलियों ने बुंदेलंखड के छतरपुर जिले के जगरौथा गांव में पानी की कहानी बदलने का बीड़ा उठाया है. बबीता नदी किनारे पानी रोकने के बंदोबस्त में बोरियां बांध रही हैं, वृक्षारोपण कर रही हैं कि बरसात में बूंद-बूंद से नदी की कोख भर जाए.
बबीता ने खोदा पहाड़:कौन सा पहाड़ खोद लिया तुमने... ये ताना गांव की बाकी महिलाओं की तरह बबीता ने भी कई बार सुना था. बुंदेलखंड की बाकी लड़कियों की तरह भी उसकी परवरिश पानी के संकट से जूझते हुए हुई थी. हालात ये थे कि पानी में खेलने की उम्र में बबीता ने पानी ढोने सिखा था. इस सारे परेशानियों को देख बबीता की सोच और मेहनत ने कुछ कर दिखाया. बुंदेलखंड की बबीता ने पहले पानी के संकट से 2-2 हाथ करते हुए गांव में 4 चैक डैम और 2 आउटलेट बनाए. परमार्थ सेवा संस्थान से जुड़कर ये काम कर रही बबीता बताती हैं, "गांव जिस पहाड़ के किनारे बसा है उस पहाड़ से बरसात का पानी दूसरी ओर बह जाता है. अगर ये गांव तक आए तो तालाब भी लबालब हो जाएगा और भूमिगत जलस्तर भी बढ़ जाएगा, लेकिन उपाय एक ही था जिसके लिए पहाड़ खोदना पड़ता."