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women covidprenuers : महिलाओं ने आपदा को अवसर बनाया, समाज में बनाई अलग पहचान - international womens day 2022

कोरोना महामारी के दौरान कई ऐसी घटनाएं हुईं जिसका प्रभाव पूरी मानवता पर हुआ. उद्योग-धंधे बंद होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों को आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ा. हालांकि, कई ऐसे प्रेरक उदाहरण भी दिखे जो कामयाबी की नई राह दिखाते हैं.

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कोविड प्रेन्योर

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Published : Mar 8, 2022, 6:35 PM IST

नई दिल्ली :राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा है, '...मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है.' कालजयी रचना रश्मिरथी के इस काव्यांश को कुछ महिलाओं ने चरितार्थ किया है. कोरोना महामारी जैसे वैश्विक संकट के समय आपदा को अवसर में बदलते हुए इन महिलाओं ने उद्यम शुरू कर न केवल कामयाबी हासिल की, जबकि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बनीं.

कोरोना महामारी की मुश्किल परिस्थितियों को अवसर में बदलते हुए कुछ महिलाओं ने अपना नया उद्यम शुरू किया है. इन महिलाओं ने ऐसे समय में अपना कारोबार खड़ा किया है, जब वर्षों से चले आ रहे प्रतिष्ठानों के लिए कारोबार करना मुश्किल हो गया था. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) पर कुछ युवा और सफल महिला उद्यमियों से बातचीत के बाद कोरोना की विषम परिस्थियों का सही इस्तेमाल करने के तरीके सामने आए हैं.

शेपवियर ब्रांड 'बट-चिक' की संस्थापक कामाक्षी अग्रवाल ने बताया कि पुरुषों के प्रभुत्व वाले वस्त्र उद्योग में एक महिला द्वारा 'मेड फॉर इंडियन' महिला शेपवियर ब्रांड शुरू करना कहने में आसान लगता है. उन्होंने देश में लोकडॉउन के दौरान नौ मई, 2020 को अपना ब्रांड 'बट-चिके' शुरू किया था और अब उनके पास 50,000 से अधिक ग्राहक है. उनकी कंपनी के ज्यादातर उत्पाद कुछ ही हफ़्तों में बिक जाते है.

वहीं एक और महिला उद्यमी ऋचा जग्गी ने कोरोनाकाल के दौरान 'अवशाद' नाम ने अपना स्टार्ट-अप शुरू किया था. दिल्ली में रहने वाली जग्गी पिछले एक दशक से कॉरपोरेट क्षेत्र में काम कर रही थी. जग्गी ने बताया कि वर्ष 2019 में उनके कुत्ते की कैंसर से मौत के बाद उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाली 'कैनबिस ऑयल' दवा की तलाश शुरू कर दी और बाद में भारतीय बाजार के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सीबीडी को सुलभ बनाने के लिए नौकरी छोड़ दी और 2021 में 'अवशाद' की सह-स्थापना की. अपने स्टार्टअप की बिक्री के मामले में '400 प्रतिशत' से अधिक की वृद्धि के साथ, जग्गी को भारत में कैनबिस देखभाल बाजार में प्रमुख कंपनी बनने का भरोसा है.

चॉकलेटी एम्बिशंस के संस्थापक सदस्य- निशांत और शीतल सक्सेना (फोटो सौजन्य- colocal.in)

इसके अलावा 32 वर्षीय शीतल सक्सेना ने नवंबर, 2020 को चॉकलेटी एम्बिशंस नाम से अपना पहला स्टोर शुरू किया. उन्होंने बताया कि भगवान के आशीर्वाद से दिल्ली वालों को डाइनिंग कैफे के साथ भारत के पहले 'बीन-टू-बार चॉकलेट फैक्ट्री' से तुरंत प्यार हो गया. इसके बाद उन्होंने खान मार्किट क्षेत्र में अपना दूसरा स्टोर भी खोला.

ओराहाना ब्रांड की संस्थापक रुचि पाठक (फोटो सौजन्य- लिंक्डइन)

वहीं घर का फर्नीचर तैयार करने वाली ओराहाना ब्रांड की संस्थापक रुचि पाठक ने बताया कि कला हमेशा से उनका शौक रहा है. लॉकडाउन के दौरान जयपुर में फंसने के अवसर का इस्तेमाल उन्होंने अपना व्यवसाय खड़ा करने के लिए किया. उन्होंने बताया कि दस हजार रुपये की पूंजी से शुरू किया कारोबार एक ठोस ग्राहक आधार के साथ दो साल से भी कम समय में पूरी तरह से काम करने वाला उद्यम बन गया है. उनकी कंपनी ने पिछले वर्ष 15 लाख रुपये का कारोबार किया है.

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एक और महिला उद्यमी नेहा जुनेजा ने भी आपदा के दौरान अपने हुनर को आजमाते हुए 'स्किनवर्क्स' नाम से कॉस्मेटिक ब्रांड की शुरुआत की और सोशल मीडिया मंच इंस्टाग्राम पर एक खाता बना दिया. उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में लगभग शून्य बिक्री के बाद उनकी कंपनी ने 2021 में 25 लाख रुपये की बिक्री की.

(पीटीआई-भाषा)

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