नई दिल्ली :राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा है, '...मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है.' कालजयी रचना रश्मिरथी के इस काव्यांश को कुछ महिलाओं ने चरितार्थ किया है. कोरोना महामारी जैसे वैश्विक संकट के समय आपदा को अवसर में बदलते हुए इन महिलाओं ने उद्यम शुरू कर न केवल कामयाबी हासिल की, जबकि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बनीं.
कोरोना महामारी की मुश्किल परिस्थितियों को अवसर में बदलते हुए कुछ महिलाओं ने अपना नया उद्यम शुरू किया है. इन महिलाओं ने ऐसे समय में अपना कारोबार खड़ा किया है, जब वर्षों से चले आ रहे प्रतिष्ठानों के लिए कारोबार करना मुश्किल हो गया था. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) पर कुछ युवा और सफल महिला उद्यमियों से बातचीत के बाद कोरोना की विषम परिस्थियों का सही इस्तेमाल करने के तरीके सामने आए हैं.
शेपवियर ब्रांड 'बट-चिक' की संस्थापक कामाक्षी अग्रवाल ने बताया कि पुरुषों के प्रभुत्व वाले वस्त्र उद्योग में एक महिला द्वारा 'मेड फॉर इंडियन' महिला शेपवियर ब्रांड शुरू करना कहने में आसान लगता है. उन्होंने देश में लोकडॉउन के दौरान नौ मई, 2020 को अपना ब्रांड 'बट-चिके' शुरू किया था और अब उनके पास 50,000 से अधिक ग्राहक है. उनकी कंपनी के ज्यादातर उत्पाद कुछ ही हफ़्तों में बिक जाते है.
वहीं एक और महिला उद्यमी ऋचा जग्गी ने कोरोनाकाल के दौरान 'अवशाद' नाम ने अपना स्टार्ट-अप शुरू किया था. दिल्ली में रहने वाली जग्गी पिछले एक दशक से कॉरपोरेट क्षेत्र में काम कर रही थी. जग्गी ने बताया कि वर्ष 2019 में उनके कुत्ते की कैंसर से मौत के बाद उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाली 'कैनबिस ऑयल' दवा की तलाश शुरू कर दी और बाद में भारतीय बाजार के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सीबीडी को सुलभ बनाने के लिए नौकरी छोड़ दी और 2021 में 'अवशाद' की सह-स्थापना की. अपने स्टार्टअप की बिक्री के मामले में '400 प्रतिशत' से अधिक की वृद्धि के साथ, जग्गी को भारत में कैनबिस देखभाल बाजार में प्रमुख कंपनी बनने का भरोसा है.