कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने कहा कि लिव इन में रहने वाली महिलाएं भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मामला दर्ज करा सकती हैं. न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पीजी अजित कुमार की खंडपीठ ने कहा कि यदि साथ रहने वाला पुरुष किसी भी प्रकार का उत्पीड़न करता है, तो महिला घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मामला दर्ज करा सकती है.
धारा 12 के तहत कानूनी कार्रवाई :'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम' दो लोगों के बीच के रिश्ते के रूप में परिभाषित करता है, चाहे वह शादीशुदा हों या नहीं. वह आपसी सहमति से एक अवधि के लिए साथ रहते हैं, भौतिक सुविधाएं साझा करते हैं. इस कारण यदि विवाह के बिना साथ रहते हुए किसी पुरुष द्वारा किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, तो यह घरेलू हिंसा कानून के दायरे में आएगा. कोर्ट ने कहा कि एक महिला जो विवाह जैसा रिश्ता जारी रखती है, घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत कानूनी कार्रवाई कर सकती है.
फैमिली कोर्ट में केस ट्रांसफर करने की अपील खारिज :अदालत मुंबई निवासी विनीत गणेश द्वारा दायर अपील पर विचार कर रही थी. याचिका में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मामले को मजिस्ट्रेट अदालत से पारिवारिक अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने यह भी माना कि पार्टनर के खिलाफ दायर शिकायत को उसके अनुरोध के अनुसार बदलने से महिला को नुकसान होगा. इसके बाद डिवीजन बेंच ने अपील खारिज कर दी.