रायपुर :जशपुर के कोतबा क्षेत्र में टोनही प्रताड़ना के नाम पर महिला के साथ हुई मारपीट को लेकर एक बार फिर समाज में व्याप्त अंधविश्वास पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां जादू-टोने का आरोप लगाकर महिला के साथ घर में घुसकर जमकर मारपीट की गई.
कई बार कुप्रथाओं की जंजीरों में जकड़े समाज में अंधविश्वास की वजह से महिलाएं प्रताड़ित होती हैं. देश के कई राज्यों में जादू-टोने के शक में महिलाओं को डायन बताकर मारा-पीटा जाता है. छत्तीसगढ़ में भी डायन बताकर महिलाओं को प्रताड़ित करने के मामले सामने आते रहते हैं. ईटीवी भारत ने इस पर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश मिश्रा से खास चर्चा की. उन्होंने इस तरह की घटनाओं को पूरे समाज के लिए कलंक बताया है.
दिनेश मिश्रा ने कहा कि केवल और केवल अंधविश्वास के चलते ही इस तरह की घटनाएं होती हैं. टोनही प्रताड़ना के नाम पर महिलाओं के साथ लगातार इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं. बड़ी विडंबना है कि एक ओर जब महिला दिवस मना कर महिलाओं का सम्मान किया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में महिलाओं के साथ इस तरह की शर्मनाक घटनाएं हो रही है.
टोनही प्रताड़ना के नाम पर महिलाओं से लगातार होती है बर्बरता
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश मिश्रा कहते हैं कि जशपुर के कोतबा क्षेत्र के कोकियाझार गांव में हुई घटना के बाद एक बार फिर से यह बात सामने आ रही है कि छत्तीसगढ़ में आज भी महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है. पुरानी परंपराओं और अंधविश्वास के चलते ही महिलाओं के साथ लगातार इस तरह की बर्बर घटना सामने आती हैं.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन ही जशपुर के इलाके में एक महिला ग्रामीणों के अंधविश्वास के कारण शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना का शिकार हुई. ऐसी घटनाएं बेहद निंदनीय है. दिनेश मिश्रा ने कहा कि इस घटना में शामिल बैगा और सभी दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. वे कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं में ज्यादातर प्रताड़ित महिलाएं ही होती हैं. महिलाओं के साथ ही टोनही प्रताड़ना के नाम पर ऐसी घटनाएं सालों से आ रही है. उन्होंने कहा कि कई बार महिलाओं के खिलाफ अपराध में महिलाओं का ही हाथ होता है.
'पहले के मुकाबले लोगों में आई जागरूकता'
डॉ दिनेश मिश्रा बताते हैं कि वे 1995 से अंधश्रद्धा निर्मूलन के लिए काम कर रहे हैं. अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर से ही वे अंधश्रद्धा और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. जब भी इस तरह की घटनाएं होती है. वह अपनी टीम के साथ पहुंचते रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले के मुकाबले अब लोगों में जादू-टोना को लेकर जागरूकता बढ़ी है. जिससे काफी हद तक घटनाओं में कमी आई है.
'छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना पर बना कानून'
छत्तीसगढ़ ही देश में पहला ऐसा राज्य है. जहां इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कानून बना है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में खासकर मैदानी इलाकों में इस तरह की घटनाओं में काफी कमी आई है. हालांकि अभी भी छत्तीसगढ़ के खासकर बॉर्डर जिलों में इस तरह की घटनाएं काफी होती हैं. बॉर्डर राज्यों से तात्पर्य है छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य जिसमें ओडिशा, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के सटे हुए क्षेत्रों में बैगा और टोनही प्रताड़ना के नाम पर लोगों में जागरूकता की जरूरत है.