बीड:बीड में सोमवार को खुलासा हुआ कि एक पती ने पत्नी को उसके चरित्र पर संदेह के चलते चार साल तक घर में कैद रखा था. समाजसेवियों ने पुलिस की मदद से महिला को छुड़ाया. उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल (district hospital) में भर्ती कराया गया है. इस बीच शाम तक मामले में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया. घर में बंद महिला को समाजसेवियों, पुलिस और पत्रकारों ने रिहा कराया. इस समय महिला की हालत देखकर समाजसेवियों की भी आंखों से आंसू छलक पड़े. बीड में जालना रोड (Jalna Road in Beed) के पास रहने वाली रूपाली मनोज किन्हीकर की शादी 20 साल पहले मनोज से हुई थी. शादीशुदा दुनिया की शुरुआत एक खूबसूरत जीवन के सपने से हुई थी. लेकिन शुरुआती दो-तीन साल ही खुशी से बीते. इसके बाद पति को उसके चरित्र पर शक होने लगा. पति उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया.
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पढ़ें: वह एक दुकान पर काम करने जाती थी. लेकिन पति ने शक के कारण उसको भी छुड़ा दिया. महिला ने बताया कि पति ने 17 सालों से मुझे घर से बाहर नहीं जाने दिया, बीते चार-पांच सालों से तो कमरे से बाहर आने पर भी पाबंदी लगा रखी थी. पीड़िता के दो बच्चे हैं. पीड़िता और उसके दो बच्चे वहीं रह रहे थे. पड़ोसियों ने कहा कि उसने उसे घर से बाहर नहीं जाने दिया. इतना ही नहीं, उसके पिता की मृत्यु होने पर उसे अंतिम संस्कार में भी नहीं जाने दिया. यह कोई इंसान नहीं बल्कि एक जानवर है. हम इसे पिछले 10 सालों से देख रहे हैं. एक बेहद खूबसूरत महिला आज 80 साल की लग रही है. पुलिस ने कहा कि पीड़िता को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि शिकायत दर्ज होने के बाद मामला दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. सामाजिक कार्यकर्ता एड. संगीता ढसे ने कहा कि प्रगतिशील माने जाने वाले महाराष्ट्र में आज भी महिलाओं पर अत्याचार कम नहीं हो रहे हैं. यह वाकई गंभीर मामला है.
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