समस्तीपुर:सरकार गरीबी दूर करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है. कई योजनाओं को धरातल पर लाकर गरीबों को विकास की राह में आगे लाने का कार्य हो रहा है, लेकिन जिले से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. एक महिला, समूह लोन की किश्त चुकता करने को लेकर अपने पति और बच्चों के संग ब्लड बेचने के लिए सदर अस्पताल पहुंची.
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ब्लड बेचने अस्पताल पहुंची महिला : प्राप्त जानकारी के अनुसार वारिसनगर की रहने वाली गुलनाज देवी ₹35000 दिए गए समूह लोन के किश्त ₹11000 चुकता करने को लेकर अपने पति कमलेश राम और दो बच्चों के साथ सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड बेचने के लिए पहुंची थी. महिला की बात सुनकर ब्लड बैंक कर्मियों के होश उड़ गए.
लोन किश्त भुगतान करने के लिए खून बेचने का फैसला:गुलनाज देवी ने लोन की किश्त वापस करने के लिए पैसों का जुगाड़ करने की काफी कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ. ऐसे में उसे एक आइडिया सूझा और वह सपरिवार अस्पताल खून देने पहुंच गई. गुलनाज और उसका पति अपने दो बेटों के साथ अस्पताल पहुंचे थे. अस्पताल में जब महिला ने ब्लड बेचने का कारण बताया तो हड़कंप मच गया और मामला आला अधिकारियों के संज्ञान में आया.
"समूह का लोन लेकर खेती-बाड़ी किया था, लेकिन खेती-बाड़ी में ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ. आज लोन की किश्त चुकानी है. लोन वालों ने हर हाल में आज किश्त देने को कहा है. इसलिए ब्लड बेचने आए हैं. ज्यादा ना सही कुछ पैसों का तो इंतजाम हो जाएगा."-गुलनाज देवी, कर्जदार
समस्तीपुर समाहरणालय पहुंचा मामला प्रशासन को आवेदन का इंतजार: वहीं इस मामले को लेकर वारिसनगर प्रखंड विकास पदाधिकारी रंजीत कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि महिला अगर उन्हें आवेदन देती है तो जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल गुलनाज देवी और उनके पति कमलेश राम के द्वारा वारिसनगर प्रखंड विकास पदाधिकारी को आवेदन नहीं दिया गया है.
"अगर पीड़ित परिवार के द्वारा आवेदन दिया जाता है तो आवेदन के आधार पर जांच करते हुए मदद का संभव प्रयास किया जाएगा. हमारे संज्ञान में यह मामला आ चुका है. परिवार से बात की जा रही है."-रंजीत कुमार,वारिसनगर प्रखंड विकास पदाधिकारी
गुलनाज को प्रशासन की मदद की आस : गरीबों के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है. लोन लेना और किश्त भुगतान की प्रक्रिया को भी जटिलताओं से मुक्त करने का प्रयास है, ताकि गरीबों को परेशानी ना हो. आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास भी कह चुके हैं कि किश्त की वसूली के लिए कोई भी ग्राहक पर दबाव नहीं बना सकता, बावजूद इसके ऐसे मामले उन सारे प्रयासों पर सवाल खड़े करते हैं. अब देखने वाली बात होगी कि गुलनाज को प्रशासन कब मदद पहुंचाता है.
क्या होता है स्वयं सहायता समूह लोन?: राज्य में 10 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह हैं. जिनकी कुल सदस्यता 1 करोड़ से अधिक है. इस योजना के तहत हर गांव में लगभग 10 से 15 महिलाओं का एक समूह बनाया गया है. व्यापार के लिए ग्रुप की महिलाओं को व्यक्तिगत तौर पर दो लाख और ग्रुप को 10 लाख रुपये तक बैंक मिलता है. यह लोन बैंक की मदद से दिया जाता हैं, जिस पर लगभग 2 से 4 प्रतिशत तक की ब्याज की राशि वसूली जाती हैं.