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10 साल पहले महिला का हुआ था हृदय प्रत्यारोपण, अब जी रही है सामान्य जीवन - महिला का हुआ था हृदय प्रत्यारोपण

केरल में एर्नाकुलम के पिरावम की रहने वाली एक महिला का 10 साल पहले हृदय प्रत्यारोपण किया गया था, जिसके वह अभी तक जीवित है. जानकारी के अनुसार यह महिला राज्य में हृदय प्रत्यारोपण के बाद सबसे ज्यादा जीने वाली पहली इंसान बन गई है.

female heart transplant
महिला का हृदय प्रत्यारोपण

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Published : Aug 13, 2023, 9:15 PM IST

कोच्चि: केरल के पिरावम, एर्नाकुलम की रहने वाली श्रुति एक दशक से प्रत्यारोपित हृदय के साथ सामान्य जीवन जी रही हैं. ऑपरेशन के माध्यम से कोट्टायम के रहने वाले लालिचन का दिल श्रुति को दिया गया था, जिसको अब 10 साल पूरे हो चुके हैं. 34 वर्षीय श्रुति राज्य में प्रत्यारोपित हृदय वाली सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाली व्यक्ति बन गईं. उनकी हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी 13 अगस्त 2013 को कोच्चि के एक अस्पताल में की गई थी.

अब श्रुति अपने घर के पास ही ब्यूटीशियन का काम करती हैं. यहां के रहने वाले शशिंद्रन और शांता की बेटी डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित थीं, जिसमें दिल तेजी से फैलता है. इन सबके अलावा श्रुति का जन्म एक किडनी के साथ हुआ था. 13 अगस्त 2013 को, कोट्टायम के वज़ापिल्ली के रहने वाले जोसेफ मैथ्यू (लालिचन) को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था. जब परिजन अंगदान के लिए तैयार हो गए, तो प्रक्रियाएं पूरी होने के एक घंटे से भी कम समय बाद दिल को पुलिस एस्कॉर्ट के साथ कोट्टायम से एर्नाकुलम के अस्पताल लाया गया.

यहां इस हृदय को श्रुति में ट्रांसप्लांट किया गया था. बीते दिन हृदय प्रत्यारोपण के 10 साल पूरे होने का जश्न मनाया गया और इस अवसर पर उनका ऑपरेशन करने डॉक्टर और अंगदान करने वाले लालिचन के रिश्तेदार भी शामिल हुए. इस दौरान अभिनेता अन्ना बेन ने भी दोनों परिवारों को शुभकामनाएं दीं. इस दौरान श्रुति ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें फिलहाल कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं है और वह खुशी-खुशी आगे बढ़ रही हैं.

श्रुति ने कहा कि डॉक्टर के निर्देशानुसार हर महीने स्वास्थ्य जांच की जा रही है. हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी से पहले कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, घरघराहट और अनिद्रा जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं. हृदय में समस्या का निदान सत्रह वर्ष की आयु में हुआ. उस वक्त एंजियोप्लास्टी की गई थी. लेकिन ठीक नहीं हुआ, इसके बाद डॉक्टरों ने एकमात्र समाधान के रूप में हृदय प्रत्यारोपण का सुझाव दिया था.

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