नई दिल्ली : अब जबकि विदेशी सैनिकों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है और तालिबान ने अफगानिस्ता पर कब्जा कर लिया है और नया नेतृत्व चीन से वित्तीय मदद (financial help from China) का भरोसा कर रहा है. ऐसे में विदेश नीति विशेषज्ञों (foreign policy experts) का मानना है कि शांति और स्थिरता के बिना कोई अन्य देश अफगानिस्तान के विकास के लिए आगे नहीं आ सकता है.
ईटीवी भारत संवाददाता तौसीफ से बात करते हुए विदेश नीति विशेषज्ञ (foreign policy expert) कमर आगा (Qamar Agha) ने कहा कि सबसे पहले अफगानिस्तान को किसी भी सहायता के लिए, उन्हें शांति और स्थिरता (peace and stability) स्थापित करनी होगी. इसका मूल रूप से मतलब है कि लोगों को तालिबान को स्वीकार करना होगा.
वर्तमान में उन्हें देश के भीतर बहुत कम समर्थन है और देश के कुछ हिस्सों में लोगों के बीच लड़ाई चल रही है. इसलिए शांति स्थापित करने के लिए कुछ समय लगेगा. इधर चीन भी अपनी नजर बनाए हुए है. अफगानिस्तान में चीन की बहुत हिस्सेदारी है, वे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan economic corridor) का विस्तार करना चाहते हैं.
चीन भी उनके साथ व्यापार करना चाहता है, लेकिन सबसे पहले उन्हें शांति स्थापित करनी होगी, तभी ये चीजें हो सकती हैं.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद कश्मीर सहित अन्य मुस्लिम भूमि को मुक्त करने के लिए वैश्विक मुस्लिम समुदाय (global Muslim community ) को साथ लाने के लिए अल-कायदा के बयान पर बोलते हुए, कमर आगा ने कहा कि अब अल-कायदा में फिर से उत्साह बढ़ गया है. इस बार उन्होंने भारत का चयन किया है खासकर कश्मीर का.
उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए समस्या पैदा करेगा. उनका अफगानिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान में भी आधार है और वे कश्मीर में हमारे लिए परेशानी पैदा करेंगे. विदेश नीति विशेषज्ञ ने आगे कहा कि भारत सरकार तैयार है और सुरक्षा तंत्र ऐसे तत्वों से बहुत लंबे समय से निपट रहा है.
वे जानते हैं कि स्थिति को कैसे संभालना है, लेकिन फिर भी यह सरकार के लिए एक बड़ी समस्या है, जो शायद भविष्य में समस्या पैदा कर सकती है.
आगा ने कहा 'हम एक वैश्वीकृत दुनिया (globalised world ) में रह रहे हैं, जहां कुछ संधियां हैं, जिनके तहत देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर (United Nations charter) द्वारा शासित होते हैं, जो इस तरह के कृत्यों की अनुमति नहीं देते हैं.'