नई दिल्ली: भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) से बाहर निकलने के साथ, अब दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र (FTA) समझौते की समीक्षा करने का समय आ गया है. सोमवार को विकासशील देशों के लिए नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम्स (आरआईएस) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे. आसियान-भारत शिखर सम्मेलन इस सप्ताह के अंत में इंडोनेशिया में होगा.
आसियान-भारत एफटीए की समीक्षा की बहुत चर्चा हुई क्योंकि 2003 में व्यापक आर्थिक सहयोग पर आसियान-भारत फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद आसियान देशों के साथ भारत का व्यापार सरप्लस घाटे में चला गया था. यह समझौता आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र के निर्माण के लिए जनादेश प्रदान करता है. इसके बाद, इसके प्रावधानों के तहत, 2010 में आसियान-भारत माल व्यापार समझौता लागू हुआ. इसके बाद सेवाओं में व्यापार के लिए आसियान-भारत समझौता और निवेश पर आसियान-भारत समझौते पर भी सभी पक्षों द्वारा हस्ताक्षर और अनुमोदन किया गया.
2010-11 में जब आसियान-भारत माल व्यापार समझौता लागू हुआ तो भारत और 10 देशों के दक्षिण पूर्व एशियाई गुट के बीच व्यापार 57 बिलियन डॉलर था. 2022-23 में यह आंकड़ा 131 अरब डॉलर तक पहुंचने में एक दशक से अधिक का समय लगा. इस अवधि के दौरान, आसियान को भारत का निर्यात 2010-11 के 25.63 बिलियन डॉलर से बढ़कर 43.51 बिलियन डॉलर हो गया. वहीं इसी अवधि में इसका आयात भी 30.61 बिलियन डॉलर से बढ़कर 87.59 बिलियन डॉलर हो गया, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटा हुआ.
यही बात भारत को एफटीए पर दोबारा विचार करने के लिए मजबूर कर रही है. दरअसल, यही एक कारण है कि भारत आरसीईपी में शामिल होने की बातचीत से पीछे हट गया. भारत नवंबर 2019 में आरसीईपी समूह से यह कहते हुए बाहर हो गया कि वह कई आरसीईपी सदस्यों के साथ अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ते व्यापार घाटे से बचाना चाहता है.
भारत का निर्णय अभी भी बहुत बहस का विषय है, और आरसीईपी ने भारत के लिए भविष्य की तारीख में फिर से शामिल होने के लिए एक खिड़की खुली छोड़ दी है. आरसीईपी ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और 10 आसियान सदस्य देशों - ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है. 15 सदस्य देशों में दुनिया की लगभग 30 प्रतिशत आबादी (2.2 अरब लोग) और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (29.7 ट्रिलियन डॉलर) का 30 प्रतिशत हिस्सा है, जो इसे इतिहास का सबसे बड़ा व्यापार ब्लॉक बनाता है.
सोमवार के वेबिनार में बोलते हुए आसियान-भारत व्यापार परिषद के सह-अध्यक्ष दातो रमेश कोडम्मल ने कहा कि भारत के आरसीईपी से बाहर निकलने के साथ, यह आसियान-भारत एफटीए समझौते की समीक्षा करने और भारत की चिंताओं को दूर करने का समय है. कोडम्मल ने कहा, 'इतने सालों से आसियान-भारत एफटीए की समीक्षा नहीं की गई है. भारत आरसीईपी के समान शर्तों पर आसियान-भारत एफटीए की समीक्षा करना चाहता है. आसियान के लिए चीन को छोड़ना संभव नहीं है. साथ ही, आसियान को भी भारत की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अगले 15-20 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने के साथ, आसियान को दक्षिण एशियाई दिग्गज के साथ काम करना होगा.'
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कोडम्मल ने कहा, 'भारत में बहुत युवा आबादी है. यह आसियान के लिए एक बड़ा लाभ है. हम चाहते हैं कि भारतीय उद्योग आसियान देशों में आएं और निवेश करें.' उन्होंने कहा कि छोटे एवं मझोले उद्यम (एसएमई) इसमें प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. यह उल्लेख किया जा सकता है कि एसएमई भारत के निर्यात कारोबार का लगभग 40 प्रतिशत और देश के विनिर्माण उत्पादन (45 प्रतिशत) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं. भारत दुनिया में एसएमई की दूसरी सबसे बड़ी संख्या वाला देश है, जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर है.