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पूर्वोत्तर में शांति होते ही शुरू होगी सेना की वापसी

सेना की एक ब्रिगेड पहले ही हटाई जा चुकी और उसके बाद दो अन्य ब्रिगेड को हटाया जा सकता है. पूर्वोत्तर भारत में सेना की संख्या को कम किया जा रहा है, जो दशकों से उग्रवादियों का मुकाबला करने में लगी हुई थी. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

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Published : Jan 12, 2021, 10:38 PM IST

Updated : Jan 13, 2021, 6:17 AM IST

नई दिल्ली : नया साल पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए उत्साहजनक खबर का एक अग्रदूत हो सकता है, जहां पिछले कुछ वर्षों के दौरान सुरक्षा स्थिति में बहुत तेजी से बदलाव आया है. असम, नगालैंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के दशकों पुराने उग्रवाद के कारण अशांत और हिंसक इतिहास वाले इस क्षेत्र में विद्रोह के कमजोर होने के साथ भारतीय सेना आखिरकार अपनी उपस्थिति को कम कर सकती है, जहां वर्षों से सेना को आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए तैनात किया गया था.

विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) के तहत यहां सेना का उपयोग किया जाता है, जो हमेशा से ही लोगों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा रहा है.

15 जनवरी को सेना दिवस समारोह से पहले सेना प्रमुख की वार्षिक प्रेस वार्ता के दौरान सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने मंगलवार को कहा कि जहां तक पूर्वोत्तर का सवाल है, अरुणाचल के तीन जिलों को छोड़कर, निश्चित रूप से सुरक्षा स्थिति में कई गुना सुधार हुआ है.

जनरल नरवणे ने कहा कि हमें उम्मीद है कि नागालैंड का एक समूह NSCN (खापलांग) जो युद्ध विराम में शामिल नहीं हुआ है और म्यांमार में छिपा हुआ था. शीर्ष नेतृत्व (खापलांग गुट के) के आत्मसमर्पण के साथ फिर से संघर्ष विराम करेंगे और नागालैंड फिर से हिंसा मुक्त होगा.

सेना प्रमुख ने असम राइफल्स को नागालैंड के कोहिमा में इंस्पेक्टर जनरल (उत्तर) के रूप में कमान सौंपी थी और इसने म्यांमार में भारत के सैन्य सहकारी के रूप में भी काम किया था.

उन्होंने कहा कि मिजोरम में कोई हिंसा नहीं हो रही है, मणिपुर में फिर से केवल एक या दो समूह हैं जो हिंसा में शामिल हैं. असम के अधिकांश, कुल मिलाकर उत्तरपूर्व की स्थिति में पिछले एक या दो वर्षों में सुधार हुआ है.

उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के प्रयास-सेना, असम राइफल्स और राज्य पुलिस बल और सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों के परिणामस्वरूप, हमने अपनी सुरक्षा का आकलन किया है और एक ब्रिगेड को पहले ही हटा दिया गया है.

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जनरल नरवणे ने आगे कहा कि एक बार जब यह स्थिर हो जाएगा, तो हम आगे भी कम से कम एक या दो ब्रिगेड हटा देंगें और राज्य पुलिस तंत्र और अन्य सीएपीएफ को कानून और व्यवस्था की जिम्मदेरी सौंप देंगे. उसके बाद ही सेना अपने प्राथमिक कार्य पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होगी, जो बाहरी खतरों से निपटना है.

दूसरी ओर जनरल नरवणे ने जम्मू-कश्मीर में इस तरह के किसी भी कदम को उठाने से इनकार कर दिया है, जहां अभी भी आतंकी गतिविधियां जारी हैं. बताया जा रहा है कि भारत तीन प्रमुख आंतरिक चुनौतियां का सामना कर रहा है, जिनमें पूर्वोत्तर-पूर्व कश्मीर में और मध्य भारत में माओवाद शामिल है.

Last Updated : Jan 13, 2021, 6:17 AM IST

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