नई दिल्ली: मालदीव के निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज (Maldives President Mohamed Muizzu) से सुशासन और परियोजनाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है. वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को उन्हें बधाई दी और चीन और हिंद महासागर द्वीपसमूह राष्ट्र के बीच संबंधों को मजबूत करने की मांग की. अपने चीन समर्थक रुख के लिए जाने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के शिष्य मुइज्जू ने पिछले सप्ताहांत आयोजित राष्ट्रपति पद की दौड़ में सोलिह को हराया था.
वर्तमान में मालदीव की राजधानी माले के मेयर के रूप में कार्यरत, मुइज़ू पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) और प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) के संयुक्त उम्मीदवार थे. प्रारंभ में पीपीएम के यामीन को पीएनसी और पीपीएम के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था. लेकिन चूंकि वह मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 11 साल की जेल की सजा काट रहे हैं, इसलिए वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो गए. परिणामस्वरूप पीएनसी के मुइज्जू को संयुक्त पीएनसी-पीपीएम उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था. 11 नवंबर को मुइज्जू के पदभार ग्रहण करने के साथ भारत उत्सुकता से देख रहा होगा कि आर्थिक, रक्षा और सुरक्षा सहयोग के मामले में माले, भारत के संबंध में क्या नीतियां अपनाएगा.
हालांकि भारत की पड़ोसी प्रथम नीति के हिस्से के रूप में हिंद महासागर में स्थित होने के कारण मालदीव भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. भारत और मालदीव प्राचीनता से जुड़े जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संबंध साझा करते हैं और घनिष्ठ, सौहार्दपूर्ण और बहुआयामी संबंधों का आनंद लेते हैं. 2008 से खासकर राजनीतिक और रणनीतिक क्षेत्रों में मालदीव में शासन की अस्थिरता ने भारत-मालदीव संबंधों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा कर दी हैं. जब यामीन 2013 और 2018 के बीच राष्ट्रपति रहे तो भारत और मालदीव के बीच संबंध काफी खराब हो गए. वहीं 2018 में सोलिह के सत्ता में आने के बाद ही भारत और माले के बीच संबंधों में सुधार हुआ.जब सोलिह ने मुइज्जू से परियोजनाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने का अनुरोध किया तो उनका मतलब भारत समर्थित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से था. मुइज्जू ने भारतीय परियोजनाओं को लेकर दो विरोधाभासी बयान दिए थे.
एक तरफ उन्होंने कहा कि वह भारत समर्थित परियोजनाओं में खलल नहीं डालेंगे और दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि वह इनमें से कुछ परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे. इस बारे में मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस में एसोसिएट फेलो आनंद कुमार ने कहा कि पिछले साल जब मुइज्जू ने चीन का दौरा किया था तो उन्होंने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ एक बैठक के दौरान कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में वापस आती है तो माले और बीजिंग के बीच संबंधों में नाटकीय रूप से सुधार होगा. उन्होंने बताया कि यह देखना बाकी है कि वह चीन के फायदे के लिए भारत के हितों को किस हद तक नुकसान पहुंचाते हैं. यामीन के अधीन आवास और बुनियादी ढांचे के मंत्री के रूप में कार्य करते हुए मुइज्जू ने चीन द्वारा वित्त पोषित कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निरीक्षण किया, जिनमें सबसे उल्लेखनीय सिनामाले ब्रिज था. यह पुल माले को हुलहुले पर वेलाना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण संपर्क था. उसी समय मालदीव में शासन की अस्थिरता के कारण भारत को अपने निवेश के मामले में उलटफेर का सामना करना पड़ा.
इस संबंध में कुमार ने द्वीपसमूह राष्ट्र में जीएमआर समूह की हवाईअड्डा परियोजना को रद्द करने का हवाला दिया. माले में हवाई अड्डे के निर्माण का 511 मिलियन डॉलर का अनुबंध मनमाने ढंग से रद्द किए जाने के बाद भारत की जीएमआर को मालदीव से 270 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया गया था. बाद में यह प्रोजेक्ट चीनी कंपनियों को सौंप दिया गया. कुमार ने कहा कि लोग आशंकित हैं कि अब जब मुइज्जू सत्ता में आ गए हैं तो इसी तरह की चीजें होंगी. चीन ने वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ-साथ विकास के नाम पर कुछ द्वीपों को पट्टे पर देने के मामले में मालदीव में भारी निवेश किया है. मालदीव की आयात निर्भरता और विशेष रूप से चीनी ऋण भुगतान के मुद्दों ने ऋण जाल की चिंताओं को बढ़ा दिया है. चीन का कर्ज मालदीव के महत्वाकांक्षी समृद्धि के मार्ग को बाधित करता है. चिंताएं इस वजह से भी बढ़ रही हैं क्योंकि यह छोटा, पर्यटन पर निर्भर देश खुद को चीन का भारी कर्जदार पाता है. बता दें कि पुल का निर्माण यामीन के कार्यकाल के दौरान पूरे किए गए कई महत्वपूर्ण उपक्रमों में से एक है. 2014 में यामीन ने राष्ट्रपति शी के पसंदीदा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के प्रति प्रतिबद्धता जताई, जिसकी वजह से मालदीव के भीतर महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के उपक्रमों के वित्तपोषण में चीनी उद्यमों की भागीदारी की सुविधा हुई.