नई दिल्ली :मिजोरम में कई लोग शेखुमा नाम के भविष्यवक्ता को याद कर रहे हैं जिनका 1965 में निधन हो गया था. अन्य भविष्यवाणियों के बीच उन्होंने हिंसक मिजो विद्रोह सहित जो भविष्यवाणी की थी उसमें शेखुमा ने कहा था कि चीनी और भारतीय सेनाएं कलादान के तट पर एक क्रूर युद्ध छेड़ेंगी. यह भारत और म्यांमार के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा है और युद्ध नए मिज़ोरम की सुबह की शुरुआत करेगा.
शेखुमा की कब्र की रक्षा करने वाले और उनके सबसे बड़े अनुयायियों में से एक लियानहिंगा ने दक्षिण मिजोरम से फोन पर 'ईटीवी भारत' को बताया कि पड़ोसी देश म्यांमार में जो राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है उसके बाद मिजोरम के लोग शेखुमा के बारे में बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि 'मुझे विश्वास है कि भारत-चीन के बीच एक बड़ा युद्ध हो सकता है.'
1 जनवरी 2021 को चीन ने नया 'राष्ट्रीय रक्षा कानून' पास किया है. इसके तहत चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को यह अधिकार मिल गया है कि जहां भी चीन के आर्थिक और अन्य हितों को खतरा है वहां किसी भी देश में सैन्य कार्रवाई कर सकती है. इसके लिए उसे इजाजत की जरूरत नहीं है.
मंगलवार को चीन की राज्य मीडिया सीजीटीएन की चेतावनी अशुभ लग रही थी कि 'चीन अपने हितों को आगे आक्रामकता के लिए उजागर नहीं होने देगा ... अगर म्यांमार में ज्यादा समय तक अराजकता फैलती रही तो चीन अपने हितों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने पर मजबूर हो सकता है.'
चीन के विरोध में जनता उग्र
शेखुमा की भविष्यवाणियों की गिनती भले ही ज्यादा नहीं है लेकिन म्यांमार में जो उथल-पुथल मची है, सैकड़ों सरकारी कर्मचारी विरोध प्रदर्शनों का आह्वान कर रहे हैं. वे अपने पद छोड़ चुके हैं और 500 से ज्यादा किलोमीटर की दूरी तय कर मिजोरम के पास लगती मिजोरम-म्यांमार सीमा तक पहुंच गए हैं. ये चीन विरोधी लहर म्यांमार भर में चल रही है.
1 फरवरी को 'तातमाडॉ' (म्यांमार सेना) ने तख्तापलट किया था, जिसके बारे में कई लोगों का मानना है कि इसके पीछे बीजिंग है. म्यांमार में एक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हो गया है जिसमें दाऊ आंग सू की के नेतृत्व वाले समर्थक लोकतंत्र बहाली की मांग कर रहे हैं.
टाटमाडॉ ’ने मंगलवार तक लगभग 149 लोगों को क्रूरता से मार दिया है जबकि इसका संयुक्त राष्ट्र समेत हर जगह विरोध हो रहा है. मामले में चीन की जटिलता के कारण म्यांमार की जनता को नाराज कर दिया है. वह लोग चीनी स्वामित्व वाले कारखानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर हमला कर रहे हैं. उनपर गुस्सा निकाल रहे हैं.
चीन ने इसको लेकर अपना विरोध जताया है. प्रदर्शनकारियों की मौतों का कोई जिक्र नहीं किया गया, लेकिन हमलों की निंदा करते हुए चीनी दूतावास ने म्यांमार के अधिकारियों पर हिंसा रोकने, अपराधियों को दंडित करने और देश में चीनी व्यवसायों और लोगों की रक्षा करने के लिए दबाव डाला है.
म्यांमार में चीन की तेल और गैस पाइपलाइन
लेकिन कार्रवाई के लिए बीजिंग जो संकेत दे सकता है वह तेल और गैस पाइपलाइनों का संभावित और अपेक्षित लक्ष्यीकरण है, जिसे तेल और गैस पाइपलाइनों को चीन-म्यांमार पाइपलाइन भी कहा जाता है, जो प्रमुख बेल्ट और रोड इनिशिएटिव (बीआरओ) के लिए एक मेल विकास है.
पहले से ही सोशल मीडिया में कई हालिया पोस्ट हैं जिनमें पाइपलाइनों में इंजीनियरों ने विस्फोट करने का इरादा जताया है. कथित तौर पर ब्लास्ट की गई पाइपलाइनों की कई तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं.