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म्यांमार में चीन की पाइपलाइन खतरे में, क्या पीएलए करेगी कार्रवाई?

1 जनवरी 2021 को चीन ने नया 'राष्ट्रीय रक्षा कानून' पास किया है, जो विदेशों में सैन्य कार्रवाई को वैध बनाता है. म्यांमार के हालिया मामले में चीनी हितों को खतरा है. क्या ऐसे में पीएलए म्यांमार में अपने सैनिक भेजेगी. वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

म्यांमार में चीन की पाइपलाइन खतरे में
म्यांमार में चीन की पाइपलाइन खतरे में

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Published : Mar 16, 2021, 10:53 PM IST

नई दिल्ली :मिजोरम में कई लोग शेखुमा नाम के भविष्यवक्ता को याद कर रहे हैं जिनका 1965 में निधन हो गया था. अन्य भविष्यवाणियों के बीच उन्होंने हिंसक मिजो विद्रोह सहित जो भविष्यवाणी की थी उसमें शेखुमा ने कहा था कि चीनी और भारतीय सेनाएं कलादान के तट पर एक क्रूर युद्ध छेड़ेंगी. यह भारत और म्यांमार के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा है और युद्ध नए मिज़ोरम की सुबह की शुरुआत करेगा.

शेखुमा की कब्र की रक्षा करने वाले और उनके सबसे बड़े अनुयायियों में से एक लियानहिंगा ने दक्षिण मिजोरम से फोन पर 'ईटीवी भारत' को बताया कि पड़ोसी देश म्यांमार में जो राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है उसके बाद मिजोरम के लोग शेखुमा के बारे में बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि 'मुझे विश्वास है कि भारत-चीन के बीच एक बड़ा युद्ध हो सकता है.'

1 जनवरी 2021 को चीन ने नया 'राष्ट्रीय रक्षा कानून' पास किया है. इसके तहत चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को यह अधिकार मिल गया है कि जहां भी चीन के आर्थिक और अन्य हितों को खतरा है वहां किसी भी देश में सैन्य कार्रवाई कर सकती है. इसके लिए उसे इजाजत की जरूरत नहीं है.

मंगलवार को चीन की राज्य मीडिया सीजीटीएन की चेतावनी अशुभ लग रही थी कि 'चीन अपने हितों को आगे आक्रामकता के लिए उजागर नहीं होने देगा ... अगर म्यांमार में ज्यादा समय तक अराजकता फैलती रही तो चीन अपने हितों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने पर मजबूर हो सकता है.'

चीन के विरोध में जनता उग्र

शेखुमा की भविष्यवाणियों की गिनती भले ही ज्यादा नहीं है लेकिन म्यांमार में जो उथल-पुथल मची है, सैकड़ों सरकारी कर्मचारी विरोध प्रदर्शनों का आह्वान कर रहे हैं. वे अपने पद छोड़ चुके हैं और 500 से ज्यादा किलोमीटर की दूरी तय कर मिजोरम के पास लगती मिजोरम-म्यांमार सीमा तक पहुंच गए हैं. ये चीन विरोधी लहर म्यांमार भर में चल रही है.

1 फरवरी को 'तातमाडॉ' (म्यांमार सेना) ने तख्तापलट किया था, जिसके बारे में कई लोगों का मानना ​​है कि इसके पीछे बीजिंग है. म्यांमार में एक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हो गया है जिसमें दाऊ आंग सू की के नेतृत्व वाले समर्थक लोकतंत्र बहाली की मांग कर रहे हैं.

टाटमाडॉ ’ने मंगलवार तक लगभग 149 लोगों को क्रूरता से मार दिया है जबकि इसका संयुक्त राष्ट्र समेत हर जगह विरोध हो रहा है. मामले में चीन की जटिलता के कारण म्यांमार की जनता को नाराज कर दिया है. वह लोग चीनी स्वामित्व वाले कारखानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर हमला कर रहे हैं. उनपर गुस्सा निकाल रहे हैं.

चीन ने इसको लेकर अपना विरोध जताया है. प्रदर्शनकारियों की मौतों का कोई जिक्र नहीं किया गया, लेकिन हमलों की निंदा करते हुए चीनी दूतावास ने म्यांमार के अधिकारियों पर हिंसा रोकने, अपराधियों को दंडित करने और देश में चीनी व्यवसायों और लोगों की रक्षा करने के लिए दबाव डाला है.

म्यांमार में चीन की तेल और गैस पाइपलाइन

लेकिन कार्रवाई के लिए बीजिंग जो संकेत दे सकता है वह तेल और गैस पाइपलाइनों का संभावित और अपेक्षित लक्ष्यीकरण है, जिसे तेल और गैस पाइपलाइनों को चीन-म्यांमार पाइपलाइन भी कहा जाता है, जो प्रमुख बेल्ट और रोड इनिशिएटिव (बीआरओ) के लिए एक मेल विकास है.

पहले से ही सोशल मीडिया में कई हालिया पोस्ट हैं जिनमें पाइपलाइनों में इंजीनियरों ने विस्फोट करने का इरादा जताया है. कथित तौर पर ब्लास्ट की गई पाइपलाइनों की कई तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं.

पाइपलाइन नेटवर्क उन क्षेत्रों से गुजरता है जो करेन और शन्स आबादी वाले हैं. जिनके पास म्यांमार सरकार के खिलाफ हिंसक विद्रोह चलाने वाले जातीयता आधारित सशस्त्र समूह हैं.

एक मीडिया रिपोर्ट मुताबिक चीनी विदेश मंत्रालय के अधीन आने वाले बाहरी सुरक्षा मामलों के विभाग के प्रमुख बाई तियान ने तातमाडॉ को तेल और गैस पाइपलाइनों को सुरक्षित करने के लिए कहा है. हालांकि इस मीडिया रिपोर्ट की पुष्टि नहीं हुई है.

तेल और प्राकृतिक गैस पाइपलाइन एक दूसरे के समानांतर चलती हैं जबकि उनका शुरुआती बिंदु म्यांमार में बंगाल की खाड़ी में क्युक्फु द्वीप के पास है.

ये कितना बड़ा नेटवर्क है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 770 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन युन्नान प्रांत में रुइली तक जाती है जबकि तेल पाइपलाइन 2,800 किलोमीटर लंबे रन के बाद गुआंग्शी तक फैली हुई है. पाइपलाइनों में सालाना 22 मिलियन टन कच्चा तेल होता है. गैस पाइपलाइन 12 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस का परिवहन करती है.

ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जरूरी ऊर्जा स्रोतों को ले जाने वाली पाइपलाइनों का यह नेटवर्क ऊर्जा की कमी वाले चीन के लिए कितना महत्वपूर्ण है.

नया राष्ट्रीय रक्षा कानून

दिसंबर 2020 में चीन की शीर्ष विधायिका नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने चीन के 'राष्ट्रीय रक्षा कानून' में संशोधन को मंजूरी दी थी.

यह कानून चीन की सेना को इस बात की स्वतंत्रता देता है कि जहां भी चीन के आर्थिक और सैन्य हित प्रभावित हो वहां पीएलए हस्तक्षेप कर सकती है. यह चीन को इस बात के लिए भी सशक्त बनाता कि अपने हितों की रक्षा के लिए वह दुनिया में कहीं भी हमला कर सकता है.

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इसके अलावा इस कानून के तहत वह चीनी नागरिकों, संगठनों, इकाइयों और सुविधाओं के हितों की रक्षा करने के लिए सैन्य कार्रवाई कर सकता है. इसके अलावा इसका उपयोग शत्रुतापूर्ण कार्रवाई और क्षेत्रीय अस्थिरता को दूर करने से लेकर आतंकी हमलों से निपटने के लिए किया जा सकता है.

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इसलिए ये सवाल उठता है कि बीजिंग म्यांमार में अपने हितों की रक्षा के लिए और जुंटा शासन को मजबूत करने के लिए अपनी सेना भेजेगा. अगर ऐसा होता है तो शेखुमा की भविष्यवाणी सच साबित होगी.

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