मसूरीः पहाड़ों की रानी मसूरी में 26 दिसंबर को विंटर लाइन कार्निवाल 2022 का आगाज होगा. जो 30 दिसंबर तक चलेगा. मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल के सफल आयोजन को लेकर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने अपने कैंप कार्यालय में मसूरी महोत्सव समिति के सदस्यों और जिला प्रशासन के अधिकारियों संग बैठक की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिए.
दरअसल, मसूरी में पांच दिवसीय विंटर लाइन कार्निवाल का आयोजन होना है. जिसका शुभारंभ 26 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे. कार्निवाल के आयोजन को लेकर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने बैठक ली. उन्होंने बैठक में अधिकारियों से कहा कि पहाड़ों की रानी मसूरी आने वाले किसी भी पर्यटक को कोई असुविधा न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए. उन्होंने पार्किंग, यातायात प्रबंध, सुरक्षा व्यवस्था, पेयजल एवं विद्युत की उपलब्धता, बढ़ती ठड़ के चलते अलाव और सफाई व्यवस्था की सभी तैयारियां समय पर पूरा करने के निर्देश दिए.
ये भी पढ़ेंःपर्यटकों का दिल मोह रही मसूरी विंटर लाइन, क्या आपने देखी?
वहीं, पांच दिवसीय कार्निवाल में स्थानीय लोगों के साथ सैलानी भी उत्तराखंड की संस्कृति (Culture of Uttarakhand) और लोक कला से रूबरू होंगे. स्थानीय कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे. कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी (Cabinet Minister Ganesh Joshi) ने कहा कि कार्निवाल में एक दिवसीय फूड फेस्टिवल का आयोजन (Mussoorie Food Festival) भी कराया जाएगा. उन्होंने अधिकारियों को कार्निवाल के ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार करने को भी कहा.
सूर्यास्त के बाद दिखती है विंटर लाइन: आमतौर पर मसूरी में अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में आसमान में एक अनोखा नजारा दिखाई होता है. आसमान में एक रंग उभरता है, मानो कुदरत अपना जादू बिखेर रही हो. लाल, नारंगी इस रंगीन रेखा को जो भी देखता है, बस देखता ही रह जाता है. इसे ही विंटर लाइन कहते हैं.
कुछ जगहों पर ही दिखता है अद्भुत नजारा: प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक गणेश सैली का कहना है कि यह एक अद्भुत घटना है, जो दुनिया में कुछ जगहों पर ही दिखाई देती है. इसमें मसूरी, दक्षिण अफ्रीका का केपटाउन और स्विटजरलैंड शामिल हैं. ये दुनिया की सबसे बड़ी रेखा है, जो इतने बड़े आसमान में दिखाई देती है.
विंटर लाइन क्या है?: विंटर लाइन के बारे में बताया जाता है कि यह रेखा धूल के कणों से बनती है, जो शाम के समय धूल के अधिक ऊपर उठने के कारण इस पर पड़ने वाली सूरज की किरणों से चमक उठती है. धूल के कण जितने अधिक होते हैं, विंटर लाइन उतनी ही अधिक गहरी बनती है. सूर्यदेव के छिपने के बाद दून के आसमान में ऋषिकेश से लेकर पौंटा साहिब तक एक पीली लाइन बन जाती है. यही विंटर लाइन है.