नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने 24 जून को जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) की पार्टियों की सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस बैठक के बाद एक बार फिर से राज्य में सियासी घमासान तेज हो गया है. वहीं, इस बैठक को लेकर आम जनता के अलावा क्षेत्र के राजनीतिक दल समेत विश्लेषक भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
बता दें, यह बैठक केंद्र द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने की घोषणा के बाद से इस तरह की पहली कवायद होगी. इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय नेताओं के भाग लेने की संभावना जताई जा रही है.
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिए बैठक बुलाई है. हालांकि इस हफ्ते की 24 तारीख को होने वाली सर्वदलीय बैठक को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्र की मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा फैसला करने की तैयारी कर रही है.
राजनीतिक विश्लेषक रशीद राहिल ने इस मसले पर कहा कि 1947 से ही बीजेपी नेता काफी दूरदर्शी रहे हैं जिसमें उन्होंने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का आह्वान किया था. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अलावा जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में भी उन्होंने कुछ सफलता हासिल की है. बता दें, बैठक में सदस्यों द्वारा धारा 370 की बहाली के बारे में कुछ खास कहने की संभावना नहीं है क्योंकि यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है. हां, विधानसभा चुनाव पर बातचीत और लोकतांत्रिक सरकार बनाने के लिए नए परिसीमन की प्रबल संभावना है. उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से चुनी हुई सरकार नहीं होने के कारण विकास की कमी और लोगों की समस्याओं पर चर्चा हो सकती है.
इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता अरशद अहमद डार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में केंद्र द्वारा ठप पड़ी राजनीतिक गतिविधियों को बहाल किया जा रहा है. अगर इतिहास पर नजर डालें तो जम्मू-कश्मीर में जब भी कोई राजनीतिक बदलाव हुआ है, उसे एक खास योजना के तहत लागू किया गया है. बैठक में शामिल होने के लिए क्षेत्रीय दलों का आमंत्रण पाकर उन्होंने कहा कि पीडी और पीडीपी लोगों की हमदर्दी जीतने के लिए धारा 370 की बहाली से कम कुछ भी टाल रही है, लेकिन पिछले दो महीने से पीडीपी अध्यक्ष महबूबा के बयान मुफ्ती नरम पड़ गए हैं. बता दें, केंद्र के साथ बातचीत का पहला निमंत्रण मिलने की पुष्टि और कुछ ही घंटों बाद महबूबा मुफ्ती के चाचा सरताज मदनी और वरिष्ठ नेता नईम अख्तर की रिहाई कुछ गुल खिला सकती है. इस तरह के घटनाक्रम और पीडीपी के लचीलेपन में बदलाव जनता के मन में कई सवाल पैदा कर रहे हैं.