कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस के कई नेता क्लस्ट्रोफोबिक (घबराए हुए) महसूस कर रहे थे और एक-एक करके टीएमसी छोड़ भाजपा खेमे में शामिल होते रहे. इस दौरान उन्होंने जनता के हित में काम करने के दावे भी किए. प्रचार के दौरान ममता बनर्जी ने उन्हें बार-बार गद्दार बताया, लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस में वापसी का संदेश दिया है.
सोनाली गुहा की ममता बनर्जी से तृणमूल कांग्रेस की वापसी की अपील इसी बात की संकेत दे रही है. उन्होंने सार्वजनिक रूप से तृणमूल कांग्रेस में लौटने की अपनी इच्छा की घोषणा की.
अब यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए अन्य नेता भी गुहा का रास्ता अपनाएंगे. गुहा के अलावा सरला मुर्मू और अमल आचार्य भी उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने भी तृणमूल में वापस जाने की इच्छा व्यक्त की है.
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया है कि सांसदों और विधायकों सहित तृणमूल कांग्रेस के छह और नेताओं ने भी इसी तरह की इच्छा व्यक्त की है. हालांकि घोष ने उनका नाम लेने से इनकार कर दिया.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि तृणमूल कांग्रेस द्वारा नामांकन से इनकार किए जाने के बाद गुहा फूट-फूट कर रोने लगीथी. इसी तरह विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद राजीव बंदोपाध्याय फूट-फूट कर रो पड़े थे.
इसी तरह प्रोबीर घोषाल और बैशाली डालमिया जैसे विधायकों ने हालांकि तृणमूल नेताओं के प्रति अपनी पीड़ा व्यक्त की, लेकिन ममता बनर्जी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला. इसलिए, राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि उनके लिए तृणमूल कांग्रेस के साथ फिर से जुड़ना आसान होगा.
गुहा ने स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा में शामिल होने का उनका फैसला गलत था, जबकि अन्य ने सीधे तौर पर इसी तरह के दावे नहीं कर रहे हैं,लेकिन वे सभी ममता बनर्जी और उनके भतीजे अविषेक बनर्जी की प्रशंसा कर रहे हैं.