बेंगलुरु :कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि 24 अगस्त की शाम को मैसूर में एक मेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा मिले. मुख्यमंत्री ने विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया द्वारा शुरू की गई बहस का जवाब देते हुए कहा, 'हम अपराधियों पर मुकदमा चलाने और उन्हें मौत की सजा सुनिश्चित करने के लिए सबसे अच्छे वकील को नियुक्त करेंगे.'
वह मैसूर में चामुंडी पहाड़ियों की तलहटी में 24 अगस्त की घटना का जिक्र कर रहे थे, जहां तमिलनाडु के छह लोगों ने कथित तौर पर एक मेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया था. गिरोह ने दंपत्ति को बाइक से पकड़कर सुनसान जगहों पर घसीटा, मारपीट की और वारदात को अंजाम दिया.
उन्होंने घटना का वीडियो भी बनाया और लड़की को तीन लाख रुपये की फिरौती देने के लिए ब्लैकमेल करने की कोशिश की, लेकिन जब दंपति ने असमर्थता जताई, तो उन्हें जाने दिया गया। इसके बाद से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है.
सिद्धारमैया के इस आरोप को खारिज करते हुए कि पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने में देरी ने इस संदेह को जन्म दिया कि सरकार मामले को छिपाना चाहती है, मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस की एक टीम मुंबई गई और पीड़िता और उसके माता-पिता को जज के सामने पेश होने और रिकॉर्ड करने के लिए राजी किया.
इससे पहले कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया हालिया सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर मैसुरु पुलिस और राज्य सरकार पर बुधवार को जम कर बरसे तथा आरोप लगाया कि वे बुरी तरह से नाकाम रही हैं और अमानवीय घटना के प्रति गंभीर नहीं हैं.
राज्य विधानसभा में, मैसुरु सामूहिक बलात्कार घटना पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र पर भी पूरे मामले को बहुत ही हल्के में लेने का आरोप लगाया.
उल्लेखनीय है कि 24 अगस्त को मैसुरु के चामुंडी हिल्स के पास छह लोगों ने कॉलेज की एक छात्रा से कथित तौर पर बलात्कार किया था, और पीड़िता के पुरुष मित्र की पिटाई की थी. पुलिस ने मामले के सिलसिले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
सिद्धरमैया ने मैसुरु को एक सांस्कृतिक नगर, प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र और शिक्षा का केंद्र बताते हुए कहा कि शहर में सामूहिक बलात्कार की इस तरह की घटनाओं का वहां पर्यटन, अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों के माता-पिता पर असर पड़ेगा तथा इसकी सांस्कृतिक पहचान पर एक धब्बा लग जाएगा.
उन्होंने कहा, 'लोग सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद डरे हुए हैं और मैसुरु में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के माता-पिता काफी चिंतित हैं.' मैसुरु जिले के रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री ने इस बात का जिक्र किया कि जिस स्थान पर यह घटना हुई वह कोई सुनसान इलाका या वन क्षेत्र नहीं है, बल्कि वहां से 300-400 मीटर की दूरी पर रिंग रोड है.
उन्होंने कहा कि पास में ही ललिताद्रीपुरा नाम का एक मोहल्ला भी है. उन्होंने कहा कि घटना के बाद, करीब एक हफ्ते पहले जब वह वारदात स्थल पर गये थे तब मैसुरु पुलिस आयुक्त ने उन्हें बताया था कि वहां पहले भी अपराध हुए हैं.
उन्होंने सवाल किया, 'जब पुलिस वहां आपराधिक गतिविधियां होने को लेकर अवगत थी तब उसने गश्त जैसे उपाय क्यों बंद किये ?' सिद्धरमैया ने कहा कि 30 दिनों की अवधि में शहर में 12 साल की बच्ची से बलात्कार के अलावा बैंक लूट, वसूली, हत्या और शूटआउट की करीब डेढ़ दर्जन घटनाएं हुई हैं.
उन्होंने तमिलनाडु से गिरफ्तार किये गये छह आरोपियों के आदतन अपराधी होने का जिक्र करते हुए सवाल किया, 'पुलिस किसलिए है? क्या अपराध रोकना उसकी ड्यूटी नहीं है? पुलिस का भय होना चाहिए.' उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के ‘चिकित्सीय कानूनी मामला’(एमएलसी) दर्ज करने और पुलिस के प्राथमिकी दर्ज करने में 14-15 घंटे का अंतराल है.
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उन्होंने सवाल किया, 'देर क्यों हुई? मामला पहले आईपीसी की धारा 354 (यौन उत्पीड़न) के तहत क्यों दर्ज किया गया और लोगों तथा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरोध करने के बाद जाकर इसे 376 (डी) और 397 में तब्दील किया गया? क्या पुलिस मामले को दबाना चाहती थी? इसके पीछे किसका हाथ था? '
कांग्रेस नेता ने प्राथमिकी दर्ज करने में देर करने को लेकर पुलिस की आलोचना करते हुए मामले को दिल्ली के निर्भया केस और तेलंगाना के इसी तरह के मामले जैसा बताया और कहा कि पुलिस ने फिर भी इसे हल्के में लिया। सिद्धरमैया ने गृह मंत्री ज्ञानेंद्र पर प्रहार करते हुए कहा कि वह बाद में मैसुरु गये, लेकिन पहले चामुंडी हिल्स गये और वहां पूजा अर्चना की, फिर पुलिस अकादमी के कार्यक्रम में शामिल हुए और वहां तस्वीरें खिंचवाई तथा लौटते समय मौके पर गये.
उन्होंने आरोप लगाया, 'इससे पता चलता है कि वह कितने गंभीर हैं.' हालांकि, ज्ञानेंद्र ने सफाई देने की कोशिश करते हुए कहा कि उन्होंने मुद्दे पर अधिकारियों के साथ दो बार बैठकें की और कई कानूनी विशेषज्ञों ने उन्हें मौके पर नहीं जाने की सलाह दी थी, फिर भी वह वहां गये.