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अधिकारियों को तलब करने पर SC ने कहा, अदालतों के लिए दिशा-निर्देश बनाएंगे - अधिकारियों को तलब करने पर SC ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अधिकारियों को अदालत में तलब करने को लेकर दिशानिर्देश बनाए जाने की बात कही. शीर्ष अदालत इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दो अधिकारियों को तलब करने संबंधी मामले की सुनवाई कर रही थी.

Will lay down guidelines for courts, SC on summoning of government officers
सरकारी अधिकारियों को तलब करने पर SC ने कहा, अदालतों के लिए दिशानिर्देश बनाएंगे

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Published : Aug 21, 2023, 1:51 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह सरकारी मामलों पर विचार करते समय अधिकारियों को अदालतों में तलब करने को लेकर अदालतों के लिए दिशानिर्देश बनाएगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मानकों का एक अलग सेट होना चाहिए, जिसका पालन तब किया जाना चाहिए जब अदालतें लंबित मामलों में सरकारी अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग करती हैं.

पीठ में शामिल न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने कहा कि वह अधिकारियों को तलब करने के लिए कुछ दिशानिर्देश तय करेगी और लंबित मामलों और जिन मामलों में निर्णय पूरा हो चुका है, उन्हें विभाजित किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि लंबित मामलों के लिए अधिकारियों को बुलाने की जरूरत नहीं है लेकिन एक बार फैसला पूरा हो जाए तो अवमानना शुरू हो जाती है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालती कार्यवाही या सरकार से जुड़ी/विरुद्ध अवमानना कार्यवाही में सरकारी अधिकारियों की आधिकारिक क्षमता में उपस्थिति के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का प्रस्ताव दिया था. एसओपी में कहा गया है कि असाधारण परिस्थितियों में जहां संबंधित अधिकारी के पास अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारी को बुलाने के लिए पर्याप्त समय के साथ उचित नोटिस दिया जाना चाहिए. पीठ ने अदालतों से सरकारी अधिकारी की पोशाक/शारीरिक उपस्थिति/शैक्षिक और सामाजिक पृष्ठभूमि पर टिप्पणी करने से परहेज करने का आग्रह किया.

केंद्र ने कहा कि यह एसओपी अदालतों में सरकारी मामलों में अधिकारियों की उपस्थिति से जुड़े मामले में लागू होगा. इस एसओपी का उद्देश्य सरकार द्वारा न्यायिक आदेशों के अनुपालन की समग्र गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से न्यायपालिका और सरकार के बीच अधिक और अनुकूल वातावरण बनाना है. जिससे अदालत की अवमानना की गुंजाइश कम हो जाएगी.

केंद्र ने अदालतों से आग्रह किया कि अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होने की अनुमति दी जाए और अदालतों को अवमानना ​​मामलों सहित रिट, जनहित याचिका आदि से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान अधिकारियों को तलब करते समय आवश्यक संयम बरतना चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार अधिकारियों को केवल असाधारण मामलों में ही बुलाया जाना चाहिए न कि नियमित मामलो में.

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सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दो अधिकारियों को तलब करने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी. जून में शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसके द्वारा उत्तर प्रदेश के वित्त सचिव एसएमए रिज़वी और विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्रा को न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद कुछ लाभ प्रदान करने के उसके आदेश का पालन करने में विफल रहने के लिए हिरासत में ले लिया गया था.

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